लाइव न्यूज़ :

सात साल में कश्मीरी पंडितों के केवल 17 फीसदी घरों का काम पूरा हुआ, 3000 घोषित नौकरियों में से 1,739 पद भरे गए

By विशाल कुमार | Updated: March 20, 2022 09:11 IST

बढ़ते आतंकवादी हमलों और समुदाय के खिलाफ हिंसा के आह्वान के कारण 1990 के बाद से बड़ी संख्या में पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा खत्म करने के साथ ही जम्मू और कश्मीर अगस्त, 2019 में एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया था।

Open in App
ठळक मुद्देपिछले सात सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास का सिर्फ 17 फीसदी ही पूरा हुआ है।इस साल फरवरी तक केवल 1,025 घरों का निर्माण आंशिक या पूर्ण रूप से पूरा हुआ था।2015 में 3,000 सरकारी नौकरियों के सृजन को मंजूरी दी थी।

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, पिछले सात सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास का सिर्फ 17 फीसदी ही पूरा हुआ है।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में घोषित प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियों के सृजन को मंजूरी दी थी। अब तक 1,739 प्रवासियों को नियुक्त किया गया है और 1,098 अन्य को नौकरियों के लिए चुना गया है।

साल 2015 में उन सदस्यों के लिए 6,000 ट्रांजिट आवास की भी घोषणा की गई थी, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा 920 करोड़ की लागत से नौकरी प्रदान की जानी थी।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल फरवरी तक केवल 1,025 घरों का निर्माण आंशिक या पूर्ण रूप से पूरा हुआ था जबकि 50 प्रतिशत से अधिक घरों का काम शुरू होना बाकी था।

9 मार्च को गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी को लिखे एक पत्र में कहा था कि उम्मीद है कि सभी ट्रांजिट आवास इकाइयों का निर्माण 2023 तक पूरा हो जाएगा।

मंत्री ने कहा कि 1488 इकाइयों पर काम पूरा होने के विभिन्न चरणों में है। 2,744 इकाइयों के लिए निविदाओं को अंतिम रूप दे दिया गया है और शेष इकाइयों के संबंध में निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

2020 के संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर में 64,827 पंजीकृत प्रवासी परिवार हैं जिसमें 60,489 हिंदू परिवार, 2,609 मुस्लिम परिवार और 1,729 सिख परिवार शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि 64,827 परिवारों में से 43,494 परिवार जम्मू में पंजीकृत हैं, 19,338 दिल्ली में और 1,995 परिवार अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बसे हैं। 43,494 प्रवासी परिवारों में से 5,248 परिवार प्रवासी शिविरों में रह रहे हैं।

बता दें कि, बढ़ते आतंकवादी हमलों और समुदाय के खिलाफ हिंसा के आह्वान के कारण 1990 के बाद से बड़ी संख्या में पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा खत्म करने के साथ ही जम्मू और कश्मीर अगस्त, 2019 में एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया था।

2008 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा प्रवासियों के लिए इसी तरह के रोजगार पैकेज की घोषणा की गई थी, जिसके तहत स्वीकृत 3,000 नौकरियों में से 2,905 नौकरियों को भरा गया था।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरकश्मीरी पंडितगृह मंत्रालयअमित शाहमनोज सिन्हा
Open in App

संबंधित खबरें

भारत'अमित शाह ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन का आधार तैयार करने के लिए SIR का इस्तेमाल किया', ममता बनर्जी ने लगाया आरोप

भारतDrung Waterfall: महीनों बाद खुला द्रुग वाटरफाल, टंगमर्ग राइडर्स की रोजी-रोटी में मदद मिली

भारतJammu-Kashmir Power Shortage: सर्दी बढ़ने के साथ कश्मीर में गहराया बिजली सकंट, करीब 500 मेगावाट बिजली की कमी से परेशान लोग

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर के मोर्चे से खुशखबरी, आतंकी हिंसा में गिरावट पर आतंक और दहशत में नहीं

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई