महिला आरक्षण बिल पर विपक्षी ने कहा, "यह महिलाओं के वोट हासिल करने और सत्ता पर कब्जा करने के लिए चुनावी मुद्दा है"

By अनुभा जैन | Published: September 25, 2023 01:52 PM2023-09-25T13:52:10+5:302023-09-25T13:57:46+5:30

महिला आरक्षण के मुद्दे पर सेंटर फॉर इफेक्टिव गवर्नेंस ऑफ इंडियन स्टेट्स की पीपुल्स एंड पार्टनरशिप प्रमुख मातंगी जयराम ने कहा कि महिलाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करने के लिए आरक्षण बेहद आवश्यकता है।

On Women's Reservation Bill, the opposition said, "This is an election issue to get women's votes and capture power" | महिला आरक्षण बिल पर विपक्षी ने कहा, "यह महिलाओं के वोट हासिल करने और सत्ता पर कब्जा करने के लिए चुनावी मुद्दा है"

महिला आरक्षण बिल पर विपक्षी ने कहा, "यह महिलाओं के वोट हासिल करने और सत्ता पर कब्जा करने के लिए चुनावी मुद्दा है"

Highlightsनारीशक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में 454 वोटों से और राज्यसभा में 214 वोटों से पारित हुआ हैलगभग तीन दशकों के लंबे इंतजार के बाद 33 फीसदी महिला आरक्षण विधेयक संसद से पास हो गया हैहालांकि सच यह है कि पास हुआ विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनावों के बाद लागू हो पायेगा

बेंगलुरु: लगभग तीन दशकों के लंबे इंतजार के बाद बहुप्रतीक्षित 33 प्रतिशत महिला आरक्षण विधेयक या नारीशक्ति वंदन अधिनियम अंततः लोकसभा में 454 वोटों से और राज्यसभा में 214 वोटों से पारित हो गया। हालांकि यह भी सच है कि संविधान विधेयक या 128 वां संशोधन विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनावों के बाद ही वास्तविकता बन पायेगा।

महिला आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल पर आरोप लगाया है कि यह महिलाओं के वोट हासिल करने और सत्ता पर कब्जा करने के लिए एक चुनाव-आधारित मुद्दा है। बिल का क्रियान्वयन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद ही जो अगली जनगणना के पूरा होने पर आधारित होगा। इसके लिए समय सीमा तय नहीं की गई है। इससे सत्तारूढ़ पीएम मोदी की सरकार पर सही मायने में समानता को बढ़ावा देने पर संदेह पैदा हो गया है।

सेंटर फॉर इफेक्टिव गवर्नेंस ऑफ इंडियन स्टेट्स की पीपुल्स एंड पार्टनरशिप प्रमुख मातंगी जयराम ने लोकमत से बात करते हुए कहा कि महिलाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करने के लिए आरक्षण की आवश्यकता है। ये राजनीतिक पार्टियाँ ईमानदारी से महिलाओं को नेतृत्व और जमीनी स्तर की भूमिकाओं में आने की अनुमति देती हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आरक्षण निचले आर्थिक तबके से लेकर राजनीतिक पृष्ठभूमि की महिलाओं तक सभी के लिए समावेशी होना चाहिए। निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी पर हमेशा सवाल उठाए गए हैं। राजनीतिक दलों के लिए पार्टी टिकट जारी करते हुये महिला उम्मीदवारों के बीच प्रतिभा का पूल आशाजनक होना चाहिए (हमारे पास शायद ही कोई पूल है)। महिला आरक्षण विधेयक में सबसे बड़ी बाधा स्वयं पार्टियों द्वारा सकारात्मक कार्रवाई है।

वहीं कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा ने इस मुद्दे पर कहा, "मोदी सरकार इस बिल को बहुत पहले ही आसानी से पारित कर सकती थी, लेकिन कई पुरुष राजनेताओं की अपनी सीटें खोने के डर से इसे लोकसभा में नहीं लाया जा रहा था” उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ भेदभाव विभिन्न प्रथाओं द्वारा वर्जित है। इसके अलावा पुरुषों द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए महिलाओं के खिलाफ पारिवारिक कानून बनाए जाते हैं जहां महिलाओं को निर्णय लेने में कोई भूमिका नहीं होती है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की एनी राजा ने कहा कि यह बिल पितृसत्ता पर बड़ा झटका साबित हो सकता है लेकिन तभी जब इसे लागू किया जाए।

समाचार चैनल इंडिया टीवी के प्रमुख रजत शर्मा ने कहा, ’’आज के समय में महिला आरक्षण की जरूरत नहीं है। महिलाओं ने व्यक्तिगत और व्यावसायिक मोर्चों पर खुद को बहुत गहराई से साबित किया है। अनिवार्य रूप से बिना कुछ मांगे केवल अपनी क्षमता और बुद्धिमत्ता से उन्हें समाज में अपना वांछित स्थान और अधिकार मिल जाएगा।’’

हालाxकि, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी इस कदम को ऐतिहासिक मानती हैं। उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में आगे बढ़ते हुए अब अधिक महिलाएं राजनीतिक क्षेत्र में नजर आएंगी। अब पीछे मुड़कर नहीं देखा जाएगा क्योंकि सभी राजनीतिक दल एक साथ हैं। इसे अवश्य लागू किया जाएगा और इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।

Web Title: On Women's Reservation Bill, the opposition said, "This is an election issue to get women's votes and capture power"

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