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तमिलनाडु में छह अप्रैल को मतदाता तय करेंगे अन्नाद्रमुक सत्ता में बनी रहेगी या द्रमुक की होगी वापसी

By भाषा | Updated: April 4, 2021 18:44 IST

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चेन्नई, चार अप्रैल तमिलनाडु में छह अप्रैल को होने वाले चुनाव में मतदाता अपना फैसला इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दर्ज करेंगे और इससे यह तय होगा कि राज्य में अन्नाद्रमुक लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करेगी या यहां सत्ता में बदलाव होगा।

चुनाव प्रचार के दौरान अन्नाद्रमुक, द्रमुक, एएमएमके और मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) ने खुद को मतदाताओं के समक्ष सर्वश्रेष्ठ विकल्प के तौर पेश करने का प्रयास किया।

मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक तीसरी बार सत्ता में बरकरार रहने की इच्छुक है। वहीं द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने अपने प्रतिद्वंद्वियों की उम्मीदों को विफल करने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है।

द्रमुक 2011 में बिजली कटौती सहित कई कारकों के कारण निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सत्ता से बेदखल हो गई थी। पांच साल बाद उसने अधिक उत्साही प्रदर्शन किया और प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत की।

तमिलनाडु में यह विधानसभा चुनाव दिवंगत नेताओं जे. जयललिता और एम. करुणानिधि की अनुपस्थिति में होगा। भाजपा भगवान मुरुगा के आशीर्वाद से इस चुनाव में अच्छा मुकाबला देने की उम्मीद कर रही है।

भाजपा ने पिछला चुनाव अपने दम पर लड़ा था लेकिन इस बार वह अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन में लड़ रही है। भाजपा इस बार तमिल संस्कृति और गौरव सहित कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किये हुए है।

एमएनएम नेता एवं अभिनेता कमल हासन 2021 में चुनावी मुकाबले में उतर रहे हैं। वह कोयम्बटूर दक्षिण से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जो पश्चिमी क्षेत्र का हिस्सा है और जिसे अन्नाद्रमुक का गढ़ माना जाता है।

कोयम्बटूर, इरोड, तिरुपुर, सलेम और नमक्कल जिलों के अलावा पश्चिमी क्षेत्र में कुल मिलाकर सत्तारूढ़ दल का अच्छा प्रभाव है।

स्टालिन ने इन जिलों में पकड़ बनाने की अपनी इच्छा प्रदर्शित की है और यह लक्ष्य हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

द्रमुक 2019 में पश्चिमी क्षेत्रों की सभी लोकसभा सीटों पर अपने गठबंधन की जीत पर भरोसा करते हुए इस विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से पार्टी द्वारा अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है।

हालांकि कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में द्रमुक की जीत का संकेत दिया है, लेकिन अन्नाद्रमुक ने उन्हें खारिज किया है।

पलानीस्वामी सहित नेताओं ने दस साल के सत्ता विरोधी लहर होने की संभावना को खारिज किया है। इन नेताओं ने इसे द्रमुक की उपज बताते हुए कहा है कि पार्टी की जन-समर्थक पहल उसे फिर से जीत दिलाएगी।

2016 का चुनाव दिवंगत जयललिता के नेतृत्व में लड़ने के बाद अन्नाद्रमुक ने भाजपा और पीएमके और कुछ अन्य स्थानीय संगठनों के साथ गठबंधन किया है।

पीएमके के एक नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वन्नियार अन्नाद्रमुक का समर्थन करेंगे और किसी भी तरह द्रमुक को वोट नहीं देंगे।

दूसरी ओर, द्रमुक 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को इस चुनाव में दोहराने के लिए अपने गठबंधन पर भरोसा कर रही है। द्रमुक के सहयोगी दलों में कांग्रेस और वाम शामिल हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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