लाइव न्यूज़ :

Video: उत्तराखंड में ओम पर्वत से गायब हुई सफेद बर्फ, अब दिख रही केवल काली चट्टान, पीएम मोदी से लगाई गई गुहार

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 27, 2024 17:46 IST

Om Parvat: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद ओम पर्वत हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक बेहद पवित्र स्थल है। 5900 मीटर की ऊंचाई पर ओम पर्वत पहली बार बर्फ रहित है।

Open in App
ठळक मुद्देओम पर्वत हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक बेहद पवित्र स्थल है5900 मीटर यानी 19356 फीट ऊंचे ओम पर्वत में लोगों की काफी आस्था हैबर्फ के पिघल जाने के कारण केवल काली चट्टान दिख रही है

Om Parvat: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद ओम पर्वत हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक बेहद पवित्र स्थल है। 5900 मीटर की ऊंचाई पर ओम पर्वत पहली बार बर्फ रहित है। इसकी आकृति कुछ ऐसी है कि जब बर्फ पड़ती है तो दूर से ही ओम की आकृति दिखती है। लेकिन बर्फ के पिघल जाने के कारण केवल काली चट्टान दिख रही है। उत्तराखंड के स्थानीय लोग इससे बेहद व्यथित हैं और इसे जलवायु परिवर्तन का परिणाम बता रहे हैं। 

5900 मीटर यानी 19356 फीट ऊंचे ओम पर्वत में लोगों की काफी आस्था है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह जलवायु परिवर्तन और कम बर्फबारी का परिणाम है। इसके अलावा सड़क चौड़ीकरण, पर्यटन और खनन जैसे "विकास" ने आग में घी डालने का काम किया है। लोगों का कहना है कि प्रकृति बहुत चेतावनियाँ दे रही है लेकिन किसी के पास सुनने का समय/धैर्य नहीं है।

पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा के पास नाभीढांग से देखने पर ओम पर्वत के दिव्य दर्शन होते थे। लेकिन अब बर्फ के पिघल जाने से लोग सिर्फ काली चट्टान देखने के लिए मजबूर हैं। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने इसके लिए पीएम मोदी से गुहार भी लगाई है। 

तस्वीर साझा कर उन्होंने लिखा, प्रणाम नरेंद्र मोदी जी, "आपके साथ उत्तराखंड के ॐ पर्वत से पहली बार पूर्णता विलुप्त हो चुकी बर्फ की फोटो साझा कर रहा हूं। जलवायु परिवर्तन के अलावा मानवीय गतिविधि जैसे सड़क निर्माण, पर्यटन, खनन + इसके प्रमुख कारक हैं। उम्मीद करुंगा की आप जांच/उचित कार्यवाही के आदेश देंगे।"

इस इलाके में पिछले कुछ वर्षों में पर्य़टकों की आमद भी खूब बढ़ी है। टूरिज्म के विस्तार के लिए सड़कें भी बनाई गई हैं। कई स्‍ट्रक्‍चर्स बनाए जा रहे हैं, जिससे हिमालय के इस भाग की जलवायु पर बुरा असर पड़ रहा है। 

अध्ययनों से पता चलता है कि हिमालय को ग्लोबल वार्मिंग से बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है।  हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार दो गुनी हो गई है। हिमालय पर्वत शृंखला, अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद दुनिया में बर्फ और हिम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश 75 करोड़ से अधिक लोग हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली नदियों से पानी प्राप्त करते हैं। इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के परिणाम भयावह हो सकते हैं।

टॅग्स :उत्तराखण्डहिमालयनरेंद्र मोदी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: लगातार फ्लाइट्स कैंसिल कर रहा इंडिगो, फिर कैसे बुक हो रहे टिकट, जानें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक