एक्सक्लूसिव: गृह मंत्री अमित शाह के दावे पर सवाल, एनपीआर में बायोमैट्रिक जरूरी, RGCCI की वेबसाइट पर छपा

By हरीश गुप्ता | Updated: December 26, 2019 08:29 IST2019-12-26T08:29:54+5:302019-12-26T08:29:54+5:30

एनपीआर नोटिस के मुताबिक जनसांख्यिकी जानकारी के तहत, हर व्यक्ति की सामान्य निवासी के तौर पर जनसांख्यिकी विवरण की जरूरत होगी. 

NPR Exclusive: Home Minister amit Shah's claims questioned, biometric necessarily printed on RGCCI website | एक्सक्लूसिव: गृह मंत्री अमित शाह के दावे पर सवाल, एनपीआर में बायोमैट्रिक जरूरी, RGCCI की वेबसाइट पर छपा

एएफपी फोटो

Highlightsइसमें कोई शक नहीं है कि एनपीआर इससे पहले यूपीए के राज में किया गया था, जब पी. चिदंबरम गृहमंत्री थे. भारत के हर सामान्य निवासी के लिए एनपीआर के तहत पंजीयन अनिवार्य है.

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में बायोमैट्रिक पहचान को लेकर अजीब विरोधाभास पैदा हो गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को ही एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा था कि एनपीआर के लिए किसी भी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी और कोई बायोमैट्रिक डेटा (जरूरत पड़ी तो आधार नंबर के अलावा) एकत्रित नहीं किया जाएगा. इसके ठीक विपरीत रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर ऑफ इंडिया (आरजीसीसीआई) की वेबसाइट कुछ और ही कहती है. 

वेबसाइट पर 19 दिसंबर 2019 को अपडेट एनपीआर पेज की लिंक कहती है कि बायोमैट्रिक जानकारी की जरूरत होगी. संयोग की बात यह है कि आरजीसीसीआई सीधे गृह मंत्रालय के ही अधीन काम करता है. आरजीसीसीआई की वेबसाइट के अनुसार, ''एनपीआर का उद्देश्य देश के हर सामान्य निवासी का व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है. इस डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ-साथ बायोमैट्रिक विवरण भी शामिल होगा."

वेबसाइट के एनपीआर वाले पेज में लिखा हुआ है, ''भारत के हर सामान्य निवासी के लिए एनपीआर के तहत पंजीयन अनिवार्य है. एनपीआर के तहत सामान्य निवासी की परिभाषा कुछ यूं है कि ऐसा व्यक्ति जो किसी स्थानीय इलाके में छह माह या ज्यादा वक्त से रह रहा हो, या फिर ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में छह माह या उससे ज्यादा वक्त रहना चाहता हो.'' 

आरजीसीसीआई की बेहद अस्पष्ट अधिसूचना के मुताबिक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) दरअसल नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीयन और राष्ट्रीय पहचान पत्र की पूर्ति) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत तैयार सामान्य निवासियों की एक पंजी है. एनपीआर नोटिस के मुताबिक जनसांख्यिकी जानकारी के तहत, हर व्यक्ति की सामान्य निवासी के तौर पर जनसांख्यिकी विवरण की जरूरत होगी. 

यह इस प्रकार हैं-

1. नाम

2. घर के मुखिया से संबंध

3. पिता का नाम, मां का नाम, पत्नी का नाम (अगर शादीशुदा हो तो)

4. लिंग

5. जन्म तारीख

6. वैवाहिक स्थिति

7. जन्मस्थान 

8. राष्ट्रीयता (जैसी घोषित हो)

9. वर्तमान पता

10. स्थानीय पते पर रहने की अवधि

11. स्थायी निवास का पता

12. कामकाज/गतिविधि 

13. शैक्षणिक योग्यता 

इसमें कोई शक नहीं है कि एनपीआर इससे पहले यूपीए के राज में किया गया था, जब पी. चिदंबरम गृहमंत्री थे. लेकिन एनपीआर के यही आंकड़े 2015 में घर-घर जाकर किए गए सर्वे में अपडेट किए गए थे. आरजीसीसीआई का कहना है कि ताजातरीन जानकारी का डिजिटाइजेशन किया जा चुका है और 2020 की जनगणना और एनपीआर के लिए गजट अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है. इसीलिए यह बात चौंकाती है कि जनगणना और एनपीआर की कवायद की विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी गृहमंत्री के बयान से मेल खाती है. 

Web Title: NPR Exclusive: Home Minister amit Shah's claims questioned, biometric necessarily printed on RGCCI website

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