केंद्र की नरेंद्र सरकार ने जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए मंगलवार को लगभग 12,700 करोड़ रुपये मंजूर किए। सरकार ने साथ ही स्पष्ट किया कि एनपीआर का विवादास्पद एनआरसी से कोई संबंध नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी एएनआई दिए एक इंटकव्यू में भी दोहराया कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध नहीं है। हालांकि, दिलचस्प ये है कि मोदी सरकार ने ही संसद में कई बार दोनों के लिंक्स के बारे में बताया है।
- गृह मंत्रालय की 2018-19 की हाल में रिलीज की गई वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरसी लागू कराने की दिशा में एनपीआर पहला कदम होगा।
- कांग्रेस सांसद राजीव सतव की ओर से पूछे गये एक सवाल पर संसद में 8 जुलाई, 2014 को लिखित जवाब में तब गृह राज्य मंत्री रहे किरेन रिजिजू ने कहा, 'एनपीआर योजना का रिव्यू किया गया है और ये फैसला लिया गया है कि एनपीआर को पूरा किया जाना चाहिए और इसके 'तार्किक परिणाम' पर पहुंचना चाहिए, जो कि एनपीआर में नागरिकता के स्टेटस के आधार पर एनआरआईसी को बनाया जाना है।'
- रिजिजू ने 15 जुलाई और फिर 22 जुलाई को भी लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एनपीआर और एनआरसी पर कुछ ऐसे ही जवाब दिए।
- रिजिजू ने 23 जुलाई को भी राज्य सभा में यही बयान दिए।
- रिजिजू ने 29 नवंबर, 2014 को राज्य सभा में कहा, हर किसी की नागरिकता के आधार पर एनआरसी की ओर एनआरपी पहला कदम होगा।
- इसके बाद 21 अप्रैल और 28 जुलाई, 2015 को भी गृह राज्य मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने 'तार्किक परिणाम' की बात को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान दोहराया।
- राज्य सभा में रिजिजू ने 13 मई, 2015 को भी यही बात दोहराई।
- रिजिजू ने 11 नवंबर, 2016 को भी राज्य सभा में प्रश्न काल के दौरान कहा, 'सरकार ने जनसंख्या पंजीयन को बनाने को मंजूरी दे दी है जिसमें देश के आम नागरिकों की जानकारी होगी। जनसंख्या पंजीयन को बनाना एनआईआईसी का ही एक भाग है।'