GI Tag: जीआई टैग में अब बनारसी लंगड़ा आम और पान को भी मिली जगह, काशी के आदमचीनी चावल और रामनगर का भंटा भी लिस्ट में शामिल

By आजाद खान | Updated: April 4, 2023 13:03 IST2023-04-04T12:39:12+5:302023-04-04T13:03:54+5:30

ऐसे में आवेदन के बावजूद जिन उत्पादकों को अभी तक यह टैग नहीं मिला है उन में बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडई और बनारस के लाल भरवा मिर्च के साथ चिरईगांव का करौंदा जैसे उत्पाक शामिल है।

Now Banarasi Langda Mango Paan also got place in GI Tag Kashi Adamchini Rice Ramnagar Bhanta are also included in list | GI Tag: जीआई टैग में अब बनारसी लंगड़ा आम और पान को भी मिली जगह, काशी के आदमचीनी चावल और रामनगर का भंटा भी लिस्ट में शामिल

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsजीआई टैग में बनारसी लंगड़ा आम व वाराणसी के देसी पान को भी जगह मिल गई है। बता दें कि इससे पहले 20 उत्पादों को इस टैग के लिए आवेदन किया गया था। ऐसे में 20 में से अभी तक 11 उत्पादकों को यह टैग मिल चुका है।

लखनऊ: काशी क्षेत्र के चार और उत्पादों को जीआइ (भौगोलिक पहचान ) टैग मिला है जिससे इस क्षेत्र के नाम से कुल 22 जीआई उत्पाद दर्ज हो गए है। इस क्षेत्र में जीआई उत्पादों की पहले सूची 18 थी जो अब बढ़कर 22 हो गई है, उसी तरीके से राज्य में जीआई उत्पादों की संख्या बढ़कर 45 हो गई है। 

ऐसे में हाल में जिन उत्पादों को यह टैग मिला है उन में बनारसी लंगड़ा आम, बनारसी देसी पान, रामनगर का भंटा (बैंगन) व आदमचीनी चावल शामिल है। बता दें कि इससे पहले राज्य के सात ओडीओपी उत्पादों अलीगढ़ी ताले, हाथरस की हींग, मुज्जफरनगर का गुड़, नगीना वुड कार्टिंग, बखीरा ब्रासवेयर, बांदा के पत्थर क्राफ्ट व प्रतापगढ़ के आंवला को भी यह टैग मिल चुका है। 

इस साल 11 उत्पादों को यह टैग मिल चुका है

इस पर बोलते हुए जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ रजनीकान्त ने कहा है कि नाबार्ड उप्र एवं योगी सरकार के सहयोग से इस साल 11 उत्पादों को यह जगह मिली है। उनके अनुसार, जिन उत्पादों को यह टैग मिला है उसमें सात उत्पाद ओडीओपी में भी शामिल हैं और चार कृषि एवं उद्यान से संबंधित उत्पाद है। 

बता दें कि इससे पहले कुल 20 उत्पादों को इस टैग के लिए आवेदन किया गया था जिसमें से 11 को ये टैग मिल चुका है। ऐसे में अब बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडई और बनारस के लाल भरवा मिर्च के साथ चिरईगांव का करौंदा को भी जल्दी यह टैग मिल जाएगा। 

इन जीआई उत्पादों से यूपी में 20 लाख लोग जुड़े है 

गौर करने वाली बात यह है कि इन उत्पादकों के जरिए प्रदेश के 20 लाख लोग जुड़े है और इन लोगों का सलाना कारोबाग 25 500 करोड़ रूपए का होता है। ऐसे में नाबार्ड एजीएम अनुज कुमार सिंह का मानना है कि इस टैग के जरिए इन उत्पादों को पैदा करने वाले और इसका सेवन करने वाले दोनों को ही फायदा होगा और इससे बाजार में नकली उत्पादों के बिक्री पर भी रोक लगेगी। 

बता दें कि इससे पहले बनारस एवं पूर्वांचल से 18 जीआई रहे हैं। ऐसे में इन जीआई में बनारस ब्रोकेड एवं साड़ी, हस्तनिर्मित भदोही कालीन, मिर्जापुर हस्तनिर्मित दरी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी वूडेन लेकरवेयर एंड ट्वायज, निजामाबाद ब्लैक पाटरी, बनारस ग्लास बीड्स, वाराणसी साफ्टस्टोन जाली वर्क, गाजीपुर वाल हैगिग, चुनार बलुआ पत्थर, चुनार ग्लेज पाटरी, गोरखपुर टेराकोटा क्राफ्ट, बनारस जरदोजी, बनारस हैण्ड ब्लाक प्रिन्ट, बनारस वूड काविंग, मिर्जापुर पीतल बर्तन, मउ साड़ी जैसे नाम शामिल है। 
 

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