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वरिष्ठ लेखक शेखर जोशी का 90 साल की उम्र में हुआ निधन, कई भाषाओं में कहानियों का हुआ है अनुवाद

By मनाली रस्तोगी | Updated: October 4, 2022 17:53 IST

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक शेखर जोशी का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जोशी कोसी का घाटवार, दाज्यु और बदबू जैसी प्रगतिशील कहानियों के लिए जाने जाते थे।

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ठळक मुद्देजोशी एक ऐसे हिंदी लेखक रहे, जो उत्तराखंड के लोगों की संस्कृति, परंपराओं और जीवन शैली में अपनी अंतर्दृष्टि के लिए भी जाने जाते हैं।शेखर जोशी का जन्म सितंबर 1932 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलियागांव गांव में हुआ था।जोशी को इफको की ओर से कला साहित्य सम्मान और देहरादून में विद्या सागर नौटियाल सम्मान से सम्मानित किया गया था।

गाजियाबाद: हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार शेखर जोशी का मंगलवार को 90 वर्ष की आयु में गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके पुत्र प्रतुल जोशी ने बताया कि जोशी का आज अपराह्न 3:20 बजे गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। पिछले 10 दिनों से उनकी आंत का इलाज चल रहा था। जोशी के परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं। 

जोशी ने गत 10 सितंबर को नोएडा में अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। शेखर जोशी कोसी का घाटवार, दाज्यु और बदबू जैसी प्रगतिशील कहानियों के लिए जाने जाते थे। जोशी एक ऐसे हिंदी लेखक रहे, जो उत्तराखंड के लोगों की संस्कृति, परंपराओं और जीवन शैली में अपनी अंतर्दृष्टि के लिए भी जाने जाते हैं। शैलेश मटियानी के साथ उन्होंने कुमाऊं के लोकाचार की एक समग्र छवि बनाई।

सुमित्रानंदन पंत के साथ वे कुमाऊं के सबसे प्रभावशाली लेखक माने जाते रहे हैं। शेखर जोशी का जन्म सितंबर 1932 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलियागांव गांव में हुआ था। उनका परिवार खेती-बाड़ी करता था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और अजमेर में प्राप्त की। इंटरमीडिएट स्कूल में पढ़ने के दौरान उनका चयन आईएमए के रक्षा संस्थान में प्रवेश के लिए हुआ था।

प्रयागराज के कवि संतोष चतुर्वेदी ने बताया कि शेखर जोशी नई कहानी आंदोलन के कथाकार थे और वे नए लेखकों को काफी प्रोत्साहित करते थे। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में वह 50 वर्ष से अधिक समय तक रहे और अपनी लगभग सभी रचनाएं उन्होंने यहीं लिखीं। चतुर्वेदी ने बताया कि बताया कि शेखर जोशी की प्रमुख कृतियों में कोसी का घटवार, बदबू और मेंटल शामिल हैं। हाल ही में उन्होंने पार्वती नाम से एक कविता संकलन भी पेश किया था।

शेखर जोशी ने 1955 से 1986 तक वहां काम किया, इसके बाद उन्होंने पूर्णकालिक लेखन के लिए इस्तीफा दे दिया। उनकी प्रशंसित कहानी, दज्यु को चिल्ड्रन फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा बच्चों की फिल्म में बनाया गया है। कोसी का घाटवार और कई अन्य कहानियों का अंग्रेजी, रूसी, चेक, पोलिश और जापानी में अनुवाद किया गया है।

(भाषा इनपुट के साथ)

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