पटना: बिहार में नीतीश कुमार की नई सरकार बनवाने और एनडीए के साथ जदयू का समझौता कराने में अहम भूमिका अदा करने वाले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने कहा कि जदयू-भाजपा का हुए पुनर्मिलन को बिहार के मतदाताओं का भरपूर समर्थन है और एनडीए के साथ हमारा गठबंधन स्वाभाविक है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के दिये इंटरव्यू में नीतीश कुमार के विश्वासपात्र संजय झा ने कहा कि जदयू का एनडीए से गठबंधन होना स्वाभाविक थाा क्योंकि हम दोनों 2005 से साथ हैं और 2020 में बिहार की जनता का दिया जनादेश भी जेडीयू-बीजेपी के लिए था। इसमें कोई शक नहीं की कुछ गलतफहमियों के कारण भाजपा-जदयू गठबंधन टूट गया था लेकिन अब हम फिर इकट्ठा हुए हैं और लोकसभा चुनाव 2024 के साथ 2025 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल करेंगे।
साल 2022 में जदयू-भाजपा में तीखे मतभेद के टूटे संबंधों को फिर से स्थापित करने में अहम किरदार अदा करने वाले संजय झा ने कहा जदयू-भाजपा में विश्वास की कोई कमी नहीं है और ऐसी संभावनाओं के उलट दोनों दलों को बिहार की जनता अपार समर्थन मिल रहा है। राज्य में लोग चाहते थे कि जेडीयू फिर से एनडीए में शामिल हो और विपक्ष का लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से सफाया हो जाए।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संजय झा ने अपने इंटरव्यू में इंडिया गठबंधन से जदयू के अलग होने के सवाल पर कहा कि नीतीश के इंडिया गठबंधन छोड़ने के बाद वो पूरी तरह से खत्म हो चुका है क्योंकि वो ही गठबंधन की नींव रखने वाले थे।
उन्होंने इंडिया गठबंधन में नीतीश के योगदान पर कहा कि विरोधी विचारधारा के दलों को साथ लाने के लिए नीतीश कुमार ने अपनी पूरी विश्वसनीयता दांव पर लगा दी लेकिन अब वो उस गठबंधन का हिस्सा नहीं है और इंडिया गठबंधन का अब कोई भविष्य नहीं है।
उन्होंनें कांग्रेस के साथ मतभेद पर बात करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन में बिखराव का महत्पूर्ण कारण कांग्रेस की नीति है। जदयू नेता संजय झा ने कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों के आखिरी दौर से पहले, जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने थे। उस वक्त नीतीश कुमार ने कांग्रेस को प्रस्ताव दिया था कि साझेदारों के बीच कुछ सीटों का बंटवारा होना चाहिए ताकि ऐसा लगे कि गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ रहा है।
उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से एमपी में कुछ सीटें अन्य दलों को देने के बारे में बात की ताकि इंडिया गठबंधन एक गुट के रूप में चुनाव लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कहा कि कमलनाथ इसके लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में फिर कैसे कोई आगे बढ़ सकता है? इंडिया के एक अन्य बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि सीटों के बंटवारे पर चर्चा शुरू करने का समय आ गया है ताकि चुनावी अभियान शुरू हो सके लेकिन कांग्रेस ने फिर उसे भी रोक दिया।"
संजय झा ने इंटरव्यू में कहा कि यह नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने लोगों तक पहुंच बनाकर इंडिया गठबंधन बनाया। शुरूआत में जब अन्य दलों को कांग्रेस से परहेज था तो नीतीश ने उनकी चिंताओं को दूर करने का काम किया लेकिन यह कांग्रेस का अहंकार ही था कि उन्होंने वह भी नहीं किया, जिसकी उससे अपेक्षा थी। इंडिया गठबंधन बनने के छह महीने के भीतर ही यह स्पष्ट हो गया कि आंतरिक विरोधाभासों से उबरना गठबंधन में संभव नहीं है।
जदयू नेता झा ने कहा कि इंडिया गुट को एकजुट रखने की जिम्मेदारी नीतीश पर थी लेकिन साझेदार दलों ने खासकर कांग्रेस ने उन्हें वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। कांग्रेस ने अपने अहंकार के कारण वह काम नहीं किया, जो उन्हें करना था। मसलन, कई समितियां बनीं, लेकिन बैठकें कितनी हुईं? नीतीश कुमार कुछ मीडिया समूहों और एंकरों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ थे लेकिन कांग्रेस ने इसके लिए जोर दिया था और फिर उनके ही कुछ नेताओं ने आगे बढ़कर उस प्रतिबंध का उल्लंघन किया था। कांग्रेस पार्टी के भीतर खुद ही बहुत विरोधाभास है।