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"नीतीश कुमार ने राजनीतिक द्वेष और सियासी दबदबे के लिए कराया जाति सर्वे", केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 9, 2023 08:13 IST

बिहार में एनडीए के मजबूत घटक और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कराये गये जातीय सर्वे पर बेहद तीखा हमला बोला और कहा कि यह बिहार सरकार द्वारा "राजनीतिक द्वेष" के कारण कराया गया है।

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ठळक मुद्देनीतीश के कराये जातीय सर्वे पर केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस का हमला केंद्रीय मंत्री पारस ने कहा कि यह सर्वे नीतीश सरकार द्वारा "राजनीतिक द्वेष" के कारण कराया गया हैनीतीश कुमार सियासत में अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं, इसलिए करवाया जाति सर्वे

पटना:बिहार में एनडीए के मजबूत घटक और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बीते रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कराये गये जातीय सर्वे पर बेहद तीखा हमला बोला और कहा कि यह बिहार सरकार द्वारा "राजनीतिक द्वेष" के कारण कराया गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा, "बिहार में जो जातीय सर्वे कराया गया है, वह राजनीतिक द्वेष के कारण कराया गया है। नीतीश कुमार सियासत में अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इसे करवाया है।"

उन्होंने कहा, "पटना सचिवालय में बैठकर मुख्यमंत्री ने सर्वे का आदेश दिया। मेरे गांव में तो कोई सर्वे करने नहीं आया, जो ऊंची जाति के लोग नीतीश कुमार और विपक्षी गठबंधन 'घमंडिया' (इंडिया) के वोटर नहीं हैं, इसलिए उनकी संख्या जानबूझकर सर्वे में कम दिखाई गई है।"

दरअसल नीतीश सरकार द्वारा बिहार में कराये गये जाति सर्वे के डेटा को जारी करने के कुछ दिनों बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने भी इस मसले पर सवाल उठाया और नीतीश सरकार को प्रक्रिया की पारदर्शी को लेकर कटघरे में खड़ा किया था।

एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा, "केवल शब्दों से जाति सर्वेक्षण को परिभाषित नहीं कर सकते हैं, आपको प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना होगा। बिहार सरकार ने किस आधार पर जाति सर्वेक्षण किया? कोई भी सरकार की प्रक्रिया को नहीं जानता है। अधिकांश निवासी कहेंगे कि किसी ने उनसे नहीं पूछा, वे सर्वे में शामिल नहीं हैं या फिर वो यहां तक कहते हैं कि उन्हें इसके बारे में कोई जनकारी नहीं है।''

मालूम हो कि बिहार सरकार ने बीते दिनों जाति सर्वेक्षण का डेटा जारी किया है, जिसके प्रदर्शित किये गये आंकड़ों के कारण अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर असर पड़ सकता है, सर्व में बताया गया है कि बिहार में अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) मिलकर सूबे की कुल आबादी का 63 फीसदी हैं।

सर्वे के आंकड़ों को जारी करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा, "अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी है, सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी है और अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) 27 फीसदी है।"

वहीं आंकड़ों में बताया गया है कि राज्य की आबादी में अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी है। इसके साथ आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि आबादी में हिंदू 81.99 फीसदी, मुस्लिम 17.7 फीसदी, ईसाई 0.05 फीसदी, सिख 0.01 फीसदी, बौद्ध 0.08 फीसदी और अन्य धर्मों के 0.12 फीसदी शामिल हैं।

वहीं आंकड़ों की माने तो बिहार में ओबीसी समूह में आने वाली यादवों की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है, वहीं कुशवाह और कुर्मी समुदाय आबादी का 4.27 फीसदी है। जातीय सर्वे के अनुसार बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है।

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