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बिहार में विभिन्न कांडों को लेकर चर्चित रहे आनंद मोहन को नीतीश सरकार मानती है शालीन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 28, 2023 17:27 IST

सहरसा सदर थाने के थानाध्यक्ष सूर्यकांत चौबे ने दो कैदियों रोशन कुमार सिंह और सुमित कुमार के जख्मी होने की पुष्टि करते हुए कहा था कि घायल कैदियों ने पुलिस को दिए बयान में आनंद मोहन पर पिटाई करने का आरोप लगाया था।

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ठळक मुद्दे बिहार में आनंद मोहन की रिहाई पर सरकार ने सफाई दी है कि उनके अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें रिहा किया गया हैहालांकि सच तो यह है कि आनंद मोहन 40 से ज्यादा आपराधिक मामलों के आरोपी रहे हैंयही नहीं न्यायिक हिरासत में जेल में रहते हुए भी उनपर बेहद संगीन आरोप लगे थे

पटना: बिहार में आनंद मोहन की रिहाई पर सरकार ने सफाई दी है कि उनके अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें रिहा किया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि आनंद मोहन 40 से ज्यादा आपराधिक मामलों के आरोपी रहे हैं। यही नहीं न्यायिक हिरासत में जेल में रहते हुए भी उनपर बेहद संगीन आरोप लगे थे। इन आरोपों में पटना के तत्कालीन एसएसपी के साथ हाथापाई, जेल में बंदी को मारने-पीटने, जेल में अवैध रूप से चार मोबाइल रखने, कोर्ट में पेशी के बहाने ऐश करने जैसे कई मामले शामिल हैं।

यह सब वाकये तब हुए जब आनंद मोहन जेल में थे। लेकिन बिहार सरकार का दावा है कि जेल में रहते हुए आनंद मोहन का आचरण इतना अच्छा था कि उन्हें रिहा कर दिया गया। बिहार के जेल प्रशासन और पुलिस का रिकार्ड बताता है कि आनंद मोहन पर जेल में रहते हुए कई कारनामों को अंजाम देने का आरोप लगा। सरकार को आनंद मोहन से भी आशंका रही कि वे जेल में रहकर भी विधि व्यवस्था को बिगाड़ सकते हैं। लिहाजा उनका जेल ट्रांसफर भी किया गया। 

वर्ष 2006 में सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन को देहरादून के केस में पेश होने के लिए वहां भेजा गया था। देहरादून से ट्रेन से लौटे आनंद मोहन को पटना रेलवे स्टेशन से उतर कर सीधे सहरसा जेल जाना था। लेकिन आनंद मोहन ने पटना रेलवे स्टेशन के पास एक होटल बुक करा लिया। इसकी जानकारी पटना के तत्कालीन एसएसपी कुंदन कृष्णन को लगी तो वे खुद छापेमारी करने पहुंच गए। आनंद मोहन ने पटना के एसएसपी पर ही हाथ चला दिया। 

इस वाकये के बाद आनंद मोहन को गिरफ्तार कर पटना के कोतवाली थाने में लाया गया और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। वहीं, 17 अप्रैल 2014 में सहरसा जेल में उत्पात के बाद जेल प्रशासन को स्थिति संभालने के लिए पगली घंटी बजानी पड़ी थी। भारी संख्या में पुलिस बल बुलाकर स्थिति संभालनी पड़ी। पुलिस ने पाया कि दो बंदियों रोशन कुमार सिंह और सुमित कुमार को बर्बर तरीके से पीटा गया। 

सहरसा सदर थाने के थानाध्यक्ष सूर्यकांत चौबे ने दो कैदियों रोशन कुमार सिंह और सुमित कुमार के जख्मी होने की पुष्टि करते हुए कहा था कि घायल कैदियों ने पुलिस को दिए बयान में आनंद मोहन पर पिटाई करने का आरोप लगाया था। जख्मियों के बयान पर आनंद मोहन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद 23 अक्टूबर 2021 में सहरसा जेल के तत्कालीन अधीक्षक सुरेश चौधरी ने सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि आनंद मोहन के पास से चार मोबाइल फोन बरामद किया गया। 

डीएम और एसपी के निर्देश पर सहरसा जेल में छापेमारी हुई थी, जिसमें ये मोबाइल बरामद किये गये। इसके बाद जेल अधीक्षक ने आनंद मोहन के खिलाफ चोरी छिपे और छलपूर्वक मोबाइल रखने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार सरकार को ही सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन से खतरा था। लिहाजा आनंद मोहन को सहरसा जेल से भागलपुर स्पेशल सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। ऐसे कई उदाहरण हैं, जो आनंद मोहन के साथ चर्चित रहे  हैं, बावजूद इसके सरकार उन्हें बेहद शालीन कैदी मानती है।

 

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