अमरावतीः आंध्र प्रदेश में 18 से 45 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों को कोविड-19 का टीका निशुल्क लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने यहां शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह घोषणा करते हुए कहा कि मई के प्रथम सप्ताह में यह कवायद शुरू कर दी जाएगी। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से पूरे आंध्र प्रदेश में शनिवार से रात्रि कर्फ्यू लगेगा।
बता दें कि राज्य में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 10 लाख के पार हो चुकी है। उप मुख्यमंत्री (स्वास्थ्य) एकेके श्रीनिवास (नानी) ने मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘‘ रात्रि कर्फ्यू रोजाना रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक प्रभावी रहेगा।’’
उन्होंने बताया, ‘‘ केवल आवश्यक एवं आपात सेवाएं जैसे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, दूध आपूर्ति आदि को ही अनुमति दी जाएगी।’’ श्रीनिवास ने बताया, ‘‘हमने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के उपायों पर मुख्यमंत्री के साथ गहन चर्चा की क्योंकि मामले फिर से बढ़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गहन टीकाकरण के साथ रात्रि कर्फ्यू एक विकल्प है।’’
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त में कोविड-19 टीका उपलब्ध कराने का भी फैसला किया है। उन्होंने बताया कि राज्य में 18 से 45 साल उम्र के 2.04 करोड़ लोगों के होने का अनुमान है। सूत्रों ने बताया कि इस आयुवर्ग के लोगों के टीकाकरण पर ही 818 से 900 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के 11766 नए मामले
आंध्र प्रदेश में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 11,766 नए मामले सामने आए, जिसके साथ ही राज्य में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 10,09,228 तक पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश देश का ऐसा पांचवां राज्य बन गया जहां 10 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
इसके अलावा, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में अब तक 10 लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में अंतिम एक लाख मामले पिछले 24 दिनों में दर्ज किए गए। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में आठ से नौ लाख का आंकड़ा पहुंचने में 158 दिन लगे क्योंकि पिछले साल 23 अक्टूबर को आठ लाख संक्रमित लोग सामने आ चुके थे। आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला 12 मार्च 2020 को सामने आया था, जिसके बाद एक लाख का आंकड़ा पार करने में 137 दिन लगे।