एनएचएआई पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना, एनजीटी ने लिया एक्शन, जानें क्या है वजह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 9, 2023 08:22 PM2023-03-09T20:22:18+5:302023-03-09T20:23:41+5:30
खामपुर गांव और अन्य हिस्सों में पानी का छिड़काव नहीं होने तथा प्रतिपूरक वनीकरण के सिद्धांतों का पालन नहीं करने और हरित राजमार्ग (वृक्षारोपण, प्रतिरोपण, सौंदर्यीकरण और रखरखाव) नीति का अनुपालन नहीं करने के कारण धूल उड़ रही है।
नई दिल्लीः राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में मुकरबा चौक से सिंघू बॉर्डर तक आठ लेन के राजमार्ग के निर्माण के दौरान पर्यावरण नियमों का पालन करने में विफल रहने पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को दो करोड़ रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया है।
अधिकरण एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में दावा किया गया है कि खामपुर गांव और अन्य हिस्सों में पानी का छिड़काव नहीं होने तथा प्रतिपूरक वनीकरण के सिद्धांतों का पालन नहीं करने और हरित राजमार्ग (वृक्षारोपण, प्रतिरोपण, सौंदर्यीकरण और रखरखाव) नीति का अनुपालन नहीं करने के कारण धूल उड़ रही है।
अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. के. गोयल की पीठ ने कहा कि अधिकरण ने पिछले साल नवंबर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राष्ट्रीय राजधानी के पर्यावरण विभाग के निदेशक से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी। पीठ ने कहा कि संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन अवसर प्रदान किए जाने के बावजूद एनएचएआई अपनी टिप्पणियों तथा सिफारिशों का खंडन करने में विफल रहा।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के साथ विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “वायु प्रदूषण नियंत्रण मानदंड सतत विकास का एक आवश्यक घटक है और धूल उत्पन्न करने वाली किसी भी गतिविधि को धूल नियंत्रण उपायों के साथ किया जाना चाहिए, लेकिन ये उपाय नहीं किये गए।”
पीठ ने कहा, “उपचारात्मक कार्रवाई तेजी से की जा सकती है और पिछले उल्लंघन के लिए एनएचएआई को एक महीने के भीतर दो करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा जिसे प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और वन बल, हरियाणा के प्रमुख के पास जमा कराया जाएगा।”
पीठ ने कहा कि इस राशि का उपयोग वृक्षारोपण के लिहाज से उपयुक्त क्षेत्र में वनों की पुनर्बहाली के उपायों के लिए किया जाना है। पीठ ने कहा कि एनएचएआई को एक महीने के भीतर संयुक्त समिति की मंजूरी के साथ एक कार्य योजना तैयार करनी है, जिसे तीन महीने के भीतर निष्पादित किया जाना है।