जम्मू-कश्मीर में पहुंच चुके हैं नए रंगरूट और हथियार, पिछले 3 महीनों में हुए आतंकी हमले दे रहे संकेत

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 19, 2024 14:55 IST2024-08-19T14:52:31+5:302024-08-19T14:55:02+5:30

जम्मू संभाग के करीब लगभग प्रत्येक जिले में इन तीन महीनों में करीब चार दर्जन आतंकी घटनाएं समने आई हैं। यह एक नया क्रम माना जा रहा है। हालांकि इन घटनाओं में आधा दर्जन से अधिक आतंकी मारे गए तथा इतनी ही संख्या में समर्थक व आतंकी पकड़े गए हैं। 

New recruits and weapons have reached Jammu and Kashmir, they have been carrying out terrorist attacks in the last 3 months | जम्मू-कश्मीर में पहुंच चुके हैं नए रंगरूट और हथियार, पिछले 3 महीनों में हुए आतंकी हमले दे रहे संकेत

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsआतंकी मुठभेड़ों में मारे गए नए आतंकियों व रंगरूटों व बरामद खतरनानाक हथियारों ने उन्हें परेशान कर दिया है।कठुआ, राजौरी, पुंछ, डोडा और किश्तवाड़ जैसे इलाकों में आतंकवाद के पुनः सिर उठाने की घटनाएं परेशान कर देने वाली हैं।इनमें ड्रोन से हथियारों की डिलीवरी और आतंकी हमले भी आग में घी का तड़का लगा रहे थे। 

जम्मू: पिछले करीब तीन महीनों के दौरान जम्मू कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों, आतंकी मुठभेड़ों और बरामदगियों ने सुरक्षाधिकारियों को चौंका जरूर दिया है। खासकर आतंकी मुठभेड़ों में मारे गए नए आतंकियों व रंगरूटों व बरामद खतरनानाक हथियारों ने उन्हें परेशान कर दिया है। 

जबकि इस अरसे में प्रदेश के कई नए जिलों में होने वाली आतंकी घटनाओं से यह स्पष्ट होता जा रहा था कि पाकिस्तान अब नए इलाकों में परेशानी पैदा करने की रणनीति पर काम कर रहा है। कठुआ, राजौरी, पुंछ, डोडा और किश्तवाड़ जैसे इलाकों में आतंकवाद के पुनः सिर उठाने की घटनाएं परेशान कर देने वाली हैं। इनमें ड्रोन से हथियारों की डिलीवरी और आतंकी हमले भी आग में घी का तड़का लगा रहे थे। 

जबकि एक आतंकी मुठभेड़ में बरामद आरपीजी अर्थात राकेट लांचर और कंधे से दागे जाने वाले राकेटों ने पांव तले से जमीन खिसकाई है। जम्मू संभाग के करीब लगभग प्रत्येक जिले में इन तीन महीनों में करीब चार दर्जन आतंकी घटनाएं समने आई हैं। यह एक नया क्रम माना जा रहा है। हालांकि इन घटनाओं में आधा दर्जन से अधिक आतंकी मारे गए तथा इतनी ही संख्या में समर्थक व आतंकी पकड़े गए हैं। 

पर इसमें कई सैनिकों की शहादत चिंता का विषय बन गया है। पर यह सिलसिला यहीं रूकता नजर नहीं आ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन इलाकों से बरामद हथियार कुछ और ही कथाएं बयां करते हैं। अधिकारियों का मानना था कि हथियारों का इतना जखीरा एक ही रात में एकत्र नहीं किया जा सकता। हालांकि उन्हें शक था कि इनमें से अधिकतर हथियारों की डिलीवरी वाया ड्रोन हुई होगी।

एक और चिंता का प्रश्न, मारे गए व गिरफ्तार किए गए आतंकियों में से अधिकतर उस पार से हाल ही में आए थे। कुछेक एलओसी को पार कर करके और कुछेक कैसे आए अभी तक रहस्य है। पर इन घटनाओं ने उन दावों की पोल खोल दी है जिनमें कहा जा रहा था कि एलओसी से घुसपैठ रूक गई है। यह बात अलग है कि सेना मानती है कि इस साल अभी तक 18 घुसपैठिए एलओसी पर घुसने की कोशिश में मारे गए।

और इनसे भी बड़ी चिंता जम्मू कश्मीर में ड्रोनों की बढ़ती गतिविधियां हैं जिनसे निपटने को फिलहाल सुरक्षाबल अंधेरे में ही हाथ पांव मार रहे हैं। जम्मू फ्रंटियर पर ये ड्रोन सुरक्षाबलों की नींद हराम किए हुए हैं। हालांकि एलओसी के इलाकों में सैनिकों ने तीन-तीन एसएलआर गनों को एक साथ जोड़ एंटी ड्रोन गनों का जुगाड़ तैयार किया है पर लगता नहीं है कि इससे अधिक कामयाबी हाथ आ पाएगी।

Web Title: New recruits and weapons have reached Jammu and Kashmir, they have been carrying out terrorist attacks in the last 3 months

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