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भारत को अगले दशक में विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष तीन महाशक्तियों में शामिल करना नयी नीति का लक्ष्य

By भाषा | Updated: January 1, 2021 19:18 IST

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नयी दिल्ली, एक जनवरी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए कोष बढ़ाने पर जोर देने के साथ अकादमिक और पेशेवर संगठनों में लैंगिक एवं सामाजिक ऑडिट जैसे कुछ बड़े कदम विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति (एसटीआईपी) के मसौदे में शामिल किये गये हैं। इसका उद्देश्य भारत को आगामी दशक में विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष तीन महाशक्तियों में शामिल करना है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने अपनी वेबसाइट पर एसटीआईपी का मसौदा उपलब्ध कराया है। विभाग ने लोगों से सुझाव एवं जानकारियां मांगी है और टिप्पणी करने को भी कहा है, ताकि 25 जनवरी तक इसमें आवश्यकता के अनुसार बदलाव किया जा सके।

मसौदा नीति में इस बात का जिक्र किया गया है कि उसका लक्ष्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और भारत को आने वाले दशक में विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष तीन महाशक्तियों में शामिल करना है। इस कदम का उद्देश्य, पूर्णकालीन (एफटीई) शोधार्थियों की संख्या, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) पर सकल घरेलू व्यय तथा इस व्यय में निजी क्षेत्र का योगदान प्रत्येक पांच साल में दोगुना करना ; आगामी दशक में सर्वोच्च वैश्विक मान्यता हासिल करने की आकांक्षा के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) में व्यक्तिगत एवं संस्थागत उत्कृष्टता तैयार करना है।

नीति चुनिंदा रणनीतिक क्षेत्रों, वाणिज्यिक उद्यमों, स्टार्ट-अप, प्रौद्योगिकी प्रसार और लाइसेंस प्रदान करने में विभिन्न दीर्घकालीन एवं मध्यम अवधि की परियोजनाओं में प्रत्यक्ष निवेश के लिए एक एसटीआई विकास बैंक की स्थापना करने का भी प्रावधान करती है।

मसौदा नीति का लक्ष्य एक जवाबदेह अनुसंधान माहौल तैयार करना और वैश्विक मानदंडों के अनुरूप देश में बुनियादी शोध को बढ़ावा देना भी है।

मसौदा नीति में कहा गया है कि समलैंगिक, ट्रांसजेंडर समुदाय आदि (एलजीबीटीक्यू प्लस) को भी लैंगिक समता संवाद में शामिल किया जाएगा। इसमें समुदाय के सदस्यों के अधिकारों की हिफाजत का विशेष प्राधान किया जाएगा और एसटीआई में उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।

एसटीआईपी एक राष्ट्रीय एसटीआई केंद्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा, जो एसटीआई वातावरण में निर्मित सभी तरह के डेटा का केंद्रीय संग्रहकर्ता के तौर पर काम करेगा। यह सभी तरह की वित्तीय योजनाओं, कार्यक्रमों, अनुदानों और प्रोत्साहन राशि के लिए एक खुला केंद्रीकृत डेटाबेस मंच होगा।

नीति में ‘‘एक राष्ट्र, एक सब्सक्रिप्शन’’ नीति के लिए पत्रिकाओ के प्रकाशकों के साथ बातचीत करने को लेकर सरकार के वास्ते मार्ग तैयार करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके जरिए देश के सभी लोगों को पत्रिकाओं के आलेखों तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी।

नीति में एसटीआई शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए रणनीतियों के बारे में भी उल्लेख है। एसटीआई शिक्षा को सभी स्तर पर समावेशी बनाया जाएगा और इसे अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक जोड़ा जाएगा तथा इस तरह कौशल विकास, प्रशिक्षण एवं बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की प्रक्रिया के जरिए समाज का विकास होगा।

एसटीआई वातावरण के वित्तीय दायरे का विस्तार करने के लक्ष्य के साथ केंद्र के प्रत्येक मंत्रालय, राज्य के प्रत्येक विभाग और स्थानीय सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां तथा स्टार्ट-अप एसटीआई गतिविधियों के लिए न्यूनतम बजट आवंटन के साथ एसटीआई इकाई स्थापित करेंगे।

उल्लेखनीय है कि विभाग ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के साथ एसटीआईपी 2020 को तैयार करने की प्रक्रिया पिछले साल शुरू की थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसमें थोड़ी देर हो गई।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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