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NEET-UG Exam 2024: पेपर लीक मामले में केंद्र और एनटीए से 10 जुलाई तक राजस्थान HC ने मांगा जवाब

By आकाश चौरसिया | Updated: June 24, 2024 13:37 IST

NEET-UG Exam 2024: पेपर लीक मामले में दाखिल याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और नेशनल टेस्ट एजेंसी से 10 जुलाई तक जवाब मांगा है। वहीं, याचिका के जरिए परीक्षा को निरस्त करने की मांग याचिकाकर्ताओं ने की।

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ठळक मुद्देराजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और एनटीए से इस तारीख तक मांगा जवाबयाचिका में परीक्षा रद्द करने की उठी मांग अब परीक्षा पर फिर से एक बार उठे सवाल

NEET-UG Exam 2024: नीट-यूजी 2024 एग्जाम पर तनुजा यादव और अन्य याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान हाईकोर्ट ने पीआईएल दाखिल की। कोर्ट में दाखिल याचिका में बताया गया है कि हाल में संपन्न हुई मेडिकल प्रवेश परीक्षा के अंदर धांधली हुई है, नकल हुई है, पेपर ऑउट हुआ है और परीक्षा में कम समय दिया गया है। इसके साथ ही अंत में ये कहा गया कि इस परीक्षा को निरस्त किया जाए, साथ ही उचित पैमाने पर जांच करवाई जाए। गौरतलब है कि मामले को गर्माता देख और कई गिरफ्तारियों के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच कुछ दिन पूर्व सीबीआई से कराने की घोषणा की है।

इस मामले में मेडिकल प्रवेश परीक्षा में हुई अनियमितताओं और धांधली को लेकर एक एफआईआर भी दर्ज की थी। साथ ही बताते चले कि इस केस में अब तक कुल 18 गिरफ्तारी हो चुकी हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई में एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) और भारत सरकार की ओर से वकील भी शामिल हुए। हालांकि, सभी पक्षों की दलील को सुनते हुए हाई कोर्ट ने 10 जुलाई तक नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और केंद्र से जवाब मांग है।

मामले में शामिल हुए वकील राम प्रताप सैनी ने इन याचिकाओं के आधार पर कोर्ट से परीक्षा निरस्त करने की मांग रखी। उन्होंने बताया कि राजस्थान के विद्या आश्रम स्कूल में देरी से पेपर दिया गया, कैंडिडेट्स को अतिरिक्त समय भी नहीं दिया गया। इस मामले में अभी तक पटना वडोदरा में एफआईआर दर्ज हुए हैं, जिसमें ये माना गया है कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा से पहले ही पेपर ऑउट हुआ है। 

वहीं मामले को सुनते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने नीट-यूजी 2024 परीक्षा को लेकर दाखिल की गई याचिका पर एनटीए और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। 

परीक्षा रद्द करने पर सरकार का पक्षवहीं, सरकार ने कहा है कि 5 मई की परीक्षा रद्द करने की मांग पर अपने पहले के रुख को दोहराते हुए कहा कि कदाचार की घटनाएं स्थानीय या अलग-अलग थीं और उन लाखों उम्मीदवारों के करियर को खतरे में डालना उचित नहीं था, जिन्होंने सही तरीके से परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

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