मुंबई:महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आशीष शेलार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के साथ यहां बुधवार को मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के चुनावों की पूर्व संध्या पर आयोजित विशेष रात्रि भोज में शिरकत की है।
इस मौके पर शिंदे ने कहा कि पवार के उनके और भाजपा नेताओं के साथ मंच साझा करने से कुछ लोगों की रातों की नींद उड़ सकती है। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इसे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर इंगित टिप्पणी माना जा रहा है।
मंच से क्या बोले सीएम एकनाथ शिंदे
मुख्यमंत्री शिंदे ने इस मौके पर कहा, ‘‘पवार, फडणवीस और शेलार एक ही मंच पर... इससे कुछ लोगों की रातों की नींद उड़ सकती है। लेकिन यह राजनीति करने की जगह नहीं है। हम सभी खेल के प्रशंसक और समर्थक हैं। इसलिए हम अपने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद खेल के विकास के लिए साथ आए हैं।’’
भाजपा ने लगाया शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर आरोप
ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की राजनीति में भगवान राम की जगह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ले ली है। उद्धव द्वारा महाराष्ट्र में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के स्वागत के लिए कांग्रेस की ओर से भेजे गए निमंत्रण को स्वीकार करने के बाद भाजपा ने अपने पूर्व सहयोगी पर तंज कसते हुए यह टिप्पणी की है।
इस पर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने क्या कहा
मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा, “उद्धव ठाकरे कभी अपनी पार्टी की खातिर भी घर से बाहर नहीं निकले, लेकिन अब उन्होंने राहुल गांधी का स्वागत करने का फैसला किया है।”
उन्होंने कहा कि उद्धव के पिता, शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बालासाहेब ठाकरे यह सुनिश्चित करते थे कि अहम हस्तियां उनके आवास का दौरा करें, लेकिन ‘अब समय बदला ले रहा है और उद्धव ठाकरे को राहुल के स्वागत के लिए नांदेड़ जाना पड़ रहा है।’
उद्धव के लिए ‘मुंह में राम, बगल में राहुल’- भाजपा प्रवक्ता
इस पर बोलते हुए भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “यह, उद्धव के लिए ‘मुंह में राम, बगल में राहुल’ जैसा है। उद्धव कभी हिंदुत्व के लिए सड़कों पर नहीं उतरे और न ही भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी द्वारा आयोजित रथ यात्रा में शामिल हुए।”
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में लगभग तीन दशक तक एक-दूसरे की सहयोगी रहीं भाजपा और शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद 2019 में अपनी राहें अलग कर ली थीं।