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जयपुरः महारानी रहीं गायत्री देवी के पोते-पोती को वापस मिला जय महल होटल का मालिकाना हक

By भाषा | Updated: August 2, 2018 16:19 IST

महाराज देवराज और राजकुमारी लालित्य गायत्री देवी के बेटे महाराज जगत सिंह के बच्चे हैं, जिन्हें अब गायत्री देवी का एकमात्र वारिस माना जाता है।

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नई दिल्ली, 02 अगस्तः दिवंगत महारानी गायत्री देवी के पोते-पोती को जयपुर स्थित जय महल होटल का मालिकाना हक वापस मिल गया है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने इस होटल का परिचालन करने वाली कंपनी में उनकी बहुलांश हिस्सेदारी को फिर से स्थापित किया है। एनसीएलटी की दिल्ली शाखा ने गायत्री देवी के पोते महाराज देवराज और पोती राजकुमारी लालित्य कुमारी की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके मालिकाना हक को पुन: स्थापित किया।

उल्लेखनीय है कि महाराज देवराज और राजकुमारी लालित्य गायत्री देवी के बेटे महाराज जगत सिंह के बच्चे हैं, जिन्हें अब गायत्री देवी का एकमात्र वारिस माना जाता है। एनसीएलटी ने कहा कि जय महल होटल की कुल चुकता पूंजी का 99% महाराज देवराज और राजकुमारी लालित्य के पिता (महाराजा जगत सिंह) के पास था जिसे उन्हें देने से ‘लगातार मना’ किया जाता रहा।

न्यायाधिकरण ने जय महल होटल लिमिटेड के निदेशक मंडल में गायत्री देवी के वारिसों की स्थिति को महाराजा जगत सिंह की मौत के बाद की तात्कालिक स्थिति के बराबर करने का निर्देश दिया है।

अपने 82 पृष्ठ के आदेश में न्यायाधिकरण ने पाया कि महाराज देवराज और राजकुमारी लालित्य की बहुलांश हिस्सेदारी को ‘येन केन प्रकारेण’ अल्पांश हिस्सेदारी में बदल दिया गया। इसमें गायत्री देवी के सौतेले बेटे महाराजा पृथ्वी सिंह और उनके बेटे राजकुमार विजित सिंह शामिल रहे।

न्यायविद आर. वर्द्धराजन की अध्यक्षता वाली एनसीएलटी की एक सदस्यीय पीठ ने जय महल होटल प्राइवेट लिमिटेड की मार्च 1999 और मार्च 2001 में बुलायी गई असाधारण आम बैठक में निदेशक मंडल में नियुक्ति और उनकी हिस्सेदारी को कम करने के लिए लाए गए प्रस्तावों को रद्द कर दिया।

न्यायाधिकरण ने 27 मार्च 2001 की कुल अधिकृत शेयर पूंजी की स्थिति को बहाल करते हुए कहा कि दिल्ली और हरियाणा के कंपनी रजिस्ट्रार के पास इस संबंध में दाखिल किसी भी तरह के फॉर्म को भी रद्द किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि इस संबंध में महाराज देवराज और राजकुमारी लालित्य ने कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। उन्होंने उनकी 99% शेयरधारिता को गलत तरीके से कम करके छह प्रतिशत किए जाने की शिकायत की थी जिसके लिए महाराज पृथ्वीराज और उनके बेटे राजकुमार विजित सिंह को शेयर आवंटित कर दिए गए।

जय महल होटल हकीकत में जयपुर राजघराने से संबंद्ध 260 साल पुराना एक शाही महल है, जिसे बाद में एक ‘हेरिटेज होटल’ में तब्दील कर दिया गया। इसका प्रबंधन कार्य ताज होटल समूह देखता है।

टॅग्स :राजस्थानजयपुर
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