दुर्गम क्षेत्रों में बन रहे शिविरों के कारण नक्सली अब छोटे दायरे में सिमटे

By भाषा | Updated: May 25, 2021 22:41 IST2021-05-25T22:41:43+5:302021-05-25T22:41:43+5:30

Naxalites are now reduced to smaller limits due to camps being built in inaccessible areas | दुर्गम क्षेत्रों में बन रहे शिविरों के कारण नक्सली अब छोटे दायरे में सिमटे

दुर्गम क्षेत्रों में बन रहे शिविरों के कारण नक्सली अब छोटे दायरे में सिमटे

रायपुर, 25 मई छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने दावा किया है किया है कि बस्तर में नक्सलवादियों को उन्हीं की शैली में जवाब देने और बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के लिए शिविरों का निर्माण करने से नक्सली अब छोटे से दायरे में सिमट कर रह गए हैं।

राज्य सरकार का यह बयान तब आया है जब सुकमा जिले के सिलगेर गांव में शिविर के विरोध के दौरान गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गयी और इस घटना की दंडाधिकारी से जांच भी शुरू हो गई है। हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।

राज्य के जनसंपर्क विभाग से मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बस्तर में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा-बलों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में शिविर स्थापित किए जाने की जो रणनीति अपनाई गई है, उसने अब नक्सलवादियों को अब एक छोटे से दायरे में समेट कर रख दिया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘इनमें से ज्यादातर शिविर ऐसे दुर्गम इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जहां नक्सलवादियों के खौफ के कारण विकास नहीं पहुंच पा रहा था और अब इन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है, यातायात सुगम हो रहा है, शासन की योजनाएं प्रभावी तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, अंदरूनी इलाकों का परिदृश्य भी अब बदल रहा है।’’

सरकारी बयान के अनुसार बस्तर में नक्सलवादियों को उन्हीं की शैली में जवाब देने के लिए सुरक्षा-बलों ने भी घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में अपने शिविर स्थापित करने का निर्णय लिया। इन शिविरों की स्थापना इस तरह सोची-समझी रणनीति के साथ की जा रही है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर हर शिविर एक-दूसरे की मदद कर सके। इन शिविरों के स्थापित होने से इन इलाकों में नक्सलवादियों की निर्बाध आवाजाही पर रोक लगी है। सुरक्षा-बलों की ताकत में कई गुना अधिक इजाफा होने से, नक्सलवादियों को पीछे हटना पड़ रहा है।

बयान के अनुसार सुरक्षाबलों की निगरानी में सड़कों, पुल-पुलियों, संचार संबंधी अधोसंरचनाओं का निर्माण तेजी से हो रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में भी शासन की योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं। इन दुर्गम क्षेत्रों की समस्याओं की सूचनाएं अधिक त्वरित गति से प्रशासन तक पहुंच रही हैं, जिसके कारण उनका समाधान भी तेजी से किया जा रहा है।

विज्ञप्ति के अनुसार बस्तर में लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती मिलने से बौखलाए नक्सली इन शिविरों का विरोध कर रहे हैं। वे कभी इन शिविरों पर घात लगाकर हमले करते हैं, तो कभी ग्रामीणों के बीच गलतफहमियां निर्मित कर उन्हें सुरक्षा-बलों के खिलाफ बरगलाते हैं। बस्तर की सबसे बड़ी समस्या ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संवाद की कमी रही है। शिविरों की स्थापना से संवाद के अनेक नए रास्ते खुल रहे हैं, जिससे विकास की प्रक्रिया में अब ग्रामीण जन भी भागीदार बन रहे हैं।

राज्य सरकार का यह बयान तब आया है जब इस महीने की 17 तारीख को सुकमा जिले के सिलगेर में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई कथित गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई है।

बस्तर क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सिलगेर गांव में सुरक्षा बलों के लिए बने शिविर का सिलगेर और अन्य गांव के ग्रामीण विरोध कर रहे थे। 17 मई को बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंचे और शिविर पर पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान नक्सली भी वहां मौजूद थे।

उन्होंने बताया था कि पथराव के दौरान ही नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी भी शुरू कर दी। जिसका सुरक्षा बलों ने जवाब दिया। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई तथा पांच अन्य घायल हो गए।

इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि घटना में ग्रामीणों की मौत हुई है। इस दौरान वहां नक्सली मौजूद नहीं थे।

वहीं राज्य के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने घटना में मृत लोगों के परिजनों को मुआवजा देने और मामले के दोषी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने की भी मांग की है।

जिला प्रशासन ने मामले की दंडाधिकारी जांच के आदेश दिए हैं तथा जांच अधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया है।

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Web Title: Naxalites are now reduced to smaller limits due to camps being built in inaccessible areas

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