राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखी। पीएम ने शुक्रवार को एनईपी पर आयोजित एक कॉनक्लेव में कहा कि लंबे मंथन के बाद इसे बनाया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि करीब 3-4 साल तक इस पर चर्चा हुई और लाखों की संख्या में सलाह इस बारे में सरकार को मिले। पीएम ने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत का और नए भारत की नींव तैयार करने वाली है।’
पीएम मोदी ने साथ ही कहा कि पूरे देश में एनईपी पर बात हो रही है और ये एक सकारात्मक डिबेट है। पीएम ने कहा कि जितनी चर्चा होगी, ये देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए उतना ही बेहतर है। पीएम ने साथ ही कहा कि नई शिक्षा नीति को लेकर देश के किसी भी क्षेत्र से ऐसी बात नहीं कही गई कि इसमें भेदभाव है और ये इसका एक पक्ष की ओर झुकाव है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हर देश अपनी शिक्षा नीति को अपने राष्ट्रीय मूल्यों के साथ जोड़कर और राष्ट्रीय लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ता है। पीएम ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिए भविष्य को तैयार रखना है।
'नई शिक्षा नीति जल्द जमीन पर उतारेंगे'
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वो जल्द किया जाएगा। पीएम ने कहा, 'आपको इसे लागू करने में जो भी मदद चाहिए, मैं आपके साथ हूं।'
पीएम ने कहा, 'आज जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी में आसानी होगी। कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिला था। कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी। लेकिन अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डेवलेप किया गया है।'
इस सम्मेलन का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कवर किए गए शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि समग्र, बहु-विषयक एवं भविष्य की शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान, और शिक्षा में बेहतर पहुंच के लिए प्रौद्योगिकी के समान उपयोग पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
National Education Policy 2020: नई शिक्षा नीति में क्या है, जानिए
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा कर देश की 34 साल पुरानी, 1986 में बनी शिक्षा नीति को बदल दिया। शिक्षा नीति के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी, बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को इसमें कुछ कम किया गया है, विधि और मेडिकल कॉलेजों के अलावा अन्य सभी विषयों की उच्च शिक्षा के एक एकल नियामक का प्रावधान है।
साथ ही विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए समान प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है। पुरानी नीति के 10+2 (दसवीं कक्षा तक, फिर बारहवीं कक्षा तक) के ढांचे में बदलाव करते हुए नई नीति में 5+3+3+4 का ढांचा लागू किया गया है। इसके लिए आयु सीमा क्रमश: 3-8 साल, 8-11 साल, 11-14 साल और 14-18 साल तय की गई है। एम.फिल खत्म कर दिया गया है और निजी तथा सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम बनाए गए हैं।