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नेहरू के बराबर नरेंद्र, 1962 में नेहरू को मिला था बहुमत, 2024 में नहीं जुटा सके नरेंद्र लेकिन लेंगे तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ, जानिए 1962 और 2024 के सत्ता समीकरण को

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 9, 2024 09:30 IST

PM Modi Oath Taking Ceremony: प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत नरेंद्र मोदी रविवार को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे। ऐसा करने वाले वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ऐसा कीर्तिमान बनाया था।

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत नरेंद्र मोदी रविवार को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगेइससे पहले जवाहर लाल नेहरू ने लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थीहालांकि दोनों में एक अंतर है, नेहरू तीनों बार पूर्ण बहुमत के साथ बने थे, जबकि मोदी केवल दो बार

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत नरेंद्र मोदी रविवार को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे। ऐसा करने वाले वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ऐसा कीर्तिमान बनाया था। नरेंद्र मोदी लगातार 2014, 2019 और 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे, वहीं जवाहर लाल नेहरू ने 1952, 1957 और 1962 का लोकसभा चुनाव जीता था।

वहीं अब रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर नरेंद्र मोदी प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बराबरी कर लेंगे। लेकिन दोनों नेताओं के बीच एक भारी अंतर है और उसे समझने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि 2024 के आम चुनाव में लोकसभा की 543 सीटों पर चुनाव हुए, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं और वह अपने बल पर बहुमत के आंकड़े 272 से काफी पीछे हैं। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार सरकार बना तो रहे हैं एनडीए के बल पर, जिसे इस चुनाव में 292 सीटें हासिल हुई हैं।

अगर हम समग्र एनडीए गठबंधन की बात करें तो उसमें बीजेपी की 240, टीडीपी को 16, जेडीयू को 12, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 7, चिराग पासवान की एलजेपी को 5, जयंत चौधरी के आरएलडी के पास दो, अजित पवार की एनसीपी को एक, अनुप्रिया पटेल के अपना दल को एक, जीतनराम माझी के हम को एक और कुछ सीटें अन्य दलों के पास हैं।

वहीं भाजपा को लोकसभा में अपने दम पर बहुमत पाने से रोकने में सफल रही इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में कांग्रेस को 99 सीटें, समाजवादी पार्टी को 37 सीटें, तृणमूल कांग्रेस को 29 सीटें, डीएमके को 22 सीटें, शिवसेना यूबीटी को 9 सीटें, आम आदमी पार्टी को तीन सीटें, झारखंड मुक्ति मोर्चा को तीन सीटें और कुछ सीटें अन्य दलों ने जीती हैं।

इस तरह से नरेंद्र मोदी 2024 में सत्ता पर लगातार तीसरी बार काबिज तो हैं लेकिन 2014 और 2019 के मुकाबले 2024 में एनडीए गठबंधन के सहयोगियों के आसरे, वहीं अगर हम देश के पहले आम चुनाव से लेकर 1962 के आम चुनाव की बात करें, जिसमें जवाहर लाल नेहरू ने लगातार तीन बार जीत हासिल की थी तो तीनों ही चुनाव में नेहरू को पूर्ण बहुमत मिला था। 15 अगस्त, 1947 को जब देश स्वतंत्र हुआ तो जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को अपने मृत्यु तक उस पद पर बने रहे।

देश का पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था, जो अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 तक चला था। उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी नेहरू के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ विजयी हुई। नेहरू ने पहले आम चुनाव में लोकसभा की 489 सीटों में से 364 सीटें हासिल की थी। वहीं 1957 के दूसरे आम चुनाव की बात करें तो नेहरू का प्रभुत्व पहले चुनाव की तरह मजबूत था और उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने लोकसभा की 494 सीटों में से 371 सीटें अपने नाम की।

हालांकि नेहरू और कांग्रेस को 1957 में ही पहला चुनावी झटका भी लगा था जब पार्टी को केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से हार का सामना पड़ा। केरल विधानसभा चुनाव में सीपीआई को विधानसभा की 126 सीटों में से 60 सीटें मिलीं और ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व में लेफ्ट की पहली सरकार देश के किसी राज्य में पहली बार बनी।

लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने साल 1959 में संविधान की धारा 356 का प्रयोग करते हुए नंबूदरीपाद सरकार को बर्खास्त कर दिया था। इस तरह से दो साल में लेफ्ट की पहली सरकार गिर गई थी लेकिन 1967 में नंबूदरीपाद दूसरी बार केरल के मुख्यमंत्री बने और उस बार भी उनका कार्यकाल दो साल का ही रहा। ईएमएस नंबूदरीपाद की सरकार देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी और वे देश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे।

अब बात करते हैं नेहरू के समय में हुए तीसरे आम चुनाव की, जो 1962 में हुआ। उस चुनाव में कांग्रेस फिर से नेहरू की अगुवाई में उतरी। लोकसभा की कुल 494 सीटों में से नेहरू को 361 मिली। इस तरह नेहरू ने अपना तीसरा कार्यकाल पूर्व बहुमत के साथ जीता। हालांकि विरोधी के तौर पर सीपीआई 29 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी 18 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर थी।

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