नगरोटाः जम्मू-कश्मीर की नगरोटा विधानसभा सीट पर शुक्रवार को वोटों की गिनती की जाएगी। नगरोटा विधानसभा सीट पर मंगलवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुए उपचुनाव में 74.63 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। नगरोटा विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) शामिल हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह राणा की बेटी देवयानी राणा को मैदान में उतारा है। देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण यह उपचुनाव हो रहा है।
देवयानी, जनता की सहानुभूति और अपने पिता की साख के बलबूते उपचुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश में जुटी हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और वर्तमान में अपने परिवार का व्यवसाय संभाल रही राणा ने ‘पेशेवर और समावेशी विकास’ के मुद्दे पर प्रचार किया। मैं अपनी जीत को लेकर आशान्वित हूं। इस क्षेत्र के लोग मुझे भी भारी मतों से जीत का आशीर्वाद देंगे।
जैसे उन्होंने मेरे पिता और पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह राणा को दिया था। राणा का मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस की उम्मीदवार और जिला विकास परिषद (डीडीसी) की मौजूदा सदस्य शमीम बेगम और जेकेएनपीपी के अध्यक्ष हर्ष देव सिंह से है। हर्ष देव सिंह राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और रामनगर से तीन बार विधायक रह चुके हैं।
बेगम ने स्थानीय शासन में निरंतरता बनाए रखने के लिए जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंच और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संगठनात्मक समर्थन का सहारा लिया। नगरोटा से पहली बार चुनाव लड़ रहे सिंह ने अपना विधायी अनुभव दिखाया और खुद को दोनों प्रमुख दलों के विकल्प के रूप में पेश किया।
वर्ष 1996 से लेकर अब तक हुए पांच विधानसभा चुनावों में नगरोटा सीट भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बारी-बारी से जीती है। कांग्रेस ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा और राज्य स्तर पर गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद पार्टी ने औपचारिक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रचार अभियान में शामिल होने से किनारा कर लिया।
भाजपा की देवयानी राणा और नेशनल कॉन्फ्रेंस की शमीम बेगम दो प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। वर्षों से, राणा परिवार नगरोटा सीट जीतता आ रहा है, जो भाजपा नेता और विधायक देवेंद्र राणा के निधन के बाद खाली हुई थी। उनकी बेटी के लिए सहानुभूति की लहर देखी गई, जो चुनावी रैलियों में स्थानीय लोगों की भीड़ से स्पष्ट है।