मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार की नीतीश कुमार सरकार को फिर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई बुधवार(28 नवम्बर) तक टाल दी है। कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर वह एफआईआर में बदलाव करे।
सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में 24 घंटे के अंदर रेप की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज न करने पर बिहार सरकार को जमकर सुनाया है। इस मामले की सुनवाई के लिए बिहार के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव को बोला, यह बड़े शर्म की बात है कि बिहार में बच्चों के साथ गलत हुआ है लेकिन ये कहते हैं कि कुछ नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चेतवानी दी है कि अगर जांच में हमने पाया कि पाक्सो एक्ट और आईपीसी 377 के धारा के अंदर एफआईआर दर्ज ना होकर कार्रवाई नहीं हुई होगी तो हम सरकार के लिए जांच करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बिहार की सरकार क्या कर रही है? जब हमने पहले ही कह दिया था कि इस मसले को हम प्रथामिकता से ले रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किए, एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? जांच कैसे कर रहे हैं? देरी से एफआईआर दर्ज करने का मतलब क्या रह जाता है? क्या सीबीआई की ओर से दिए जा रहे फॉलोअप को बिहार सरकार अमल में ला रही है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बिहार के 110 में से 17 शेल्टर होमकेस में रेप की घटनाएं हुई हैं। क्या सरकार की नजर में वो देश के बच्चे नहीं है?' हालांकि इसके बाद बिहार सरकार ने कहा है कि वह जल्द ही अपनी गलतियों में सुधार कर कार्रवाई करेंगे।