महाराष्ट्र: शरद पवार के साथ आए धनंजय मुंडे, NCP की बैठक में 43 विधायक पहुंचे
By स्वाति सिंह | Published: November 23, 2019 05:34 PM2019-11-23T17:34:16+5:302019-11-23T17:50:08+5:30
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये भाजपा से हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले को शनिवार को ‘‘अनुशासनहीनता’’ करार दिया। मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक अतुल बेनके ने कहा कि मैं शरद पवार जी के साथ हूं। हम सब साथ हैं।
महाराष्ट्र में अचानक आए सियासी बदलाव के अचानक एक ट्विस्ट नजर आया है। दरअसल, एनसीपी विधायक धनंजय मुंडे के शरद पवार द्वारा बुलाई गई पार्टी की बैठक में पहुंचे है। टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक, यशवंत राव सेंटर में हो रही एनसीपी की बैठक में अबतक 43 विधायक पहुंच चुके हैं। आपको बता दें कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 54 विधायक हैं।
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये भाजपा से हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले को शनिवार को ‘‘अनुशासनहीनता’’ करार दिया। मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक अतुल बेनके ने कहा कि मैं शरद पवार जी के साथ हूं। हम सब साथ हैं।
Mumbai: Nationalist Congress Party (NCP) leader Dhananjay Munde arrives at YV Chavan Centre for NCP meeting. pic.twitter.com/7LIDLNJLf7
— ANI (@ANI) November 23, 2019
शनिवार को देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि भाजपा के साथ जाने का फैसला उनके भतीजे का व्यक्तिगत निर्णय है न कि पार्टी का। राजभवन में तड़के हुए शपथ ग्रहण समारोह के बारे में लोगों को आभास भी नहीं हुआ और कुछ लोगों ने इसे ‘‘गुप्त’’ घटना बताया।
फड़नवीस के 2014 में शपथ ग्रहण समारोह में वानखेड़े स्टेडियम में हजारों लोग मौजूद थे। राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के तुरंत बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र का शासन हटाने के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और इस संबंध में एक गजट अधिसूचना तड़के पांच बजकर 47 मिनट पर जारी की गयी।
गठबंधन में राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना ने 288 सदस्यीय सदन में क्रमश: 105 और 56 सीटें जीती थीं लेकिन शिवसेना ने भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद साझा करने से इनकार करने के बाद उसके साथ अपने तीन दशक पुराने संबंध खत्म कर लिए। दूसरी ओर, चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती।