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महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को झटका, वसूली केस में छह नवंबर तक ईडी हिरासत में

By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 2, 2021 17:05 IST

ईडी के अनुसार, राज्य के गृह मंत्री के रूप में सेवाएं देते हुए, महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद का कथित तौर पर दुरुपयोग किया और बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे के जरिए मुंबई में विभिन्न ‘बार’ और रेस्तरां से 4.70 करोड़ रुपये वसूले थे।

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ठळक मुद्देअनिल देशमुख को सुबह करीब सवा 10 बजे अस्पताल ले जाया गया था।ईडी ने पूर्व मंत्री और उनके साथियों के खिलाफ जांच शुरू की थी।

मुंबईः मुंबई की अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को छह नवंबर तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है। ईडी ने देशमुख को अपर सत्र न्यायाधीश पी बी जाधव के समक्ष दोपहर में पेश किया था। 

प्रवर्तन निदेशालय ने देशमुख से 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद सोमवार देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। धन शोधन का यह मामला महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में कथित वसूली गिरोह से जुड़ा है। ईडी कार्यालय में रात बिताने के बाद देशमुख को सुबह करीब सवा 10 बजे अस्पताल ले जाया गया था।

धन शोधन का यह मामला महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में कथित वसूली गिरोह से जुड़ा है। देशमुख को अदालत में पेश किए जाने से पहले जांच एजेंसी उन्हें नियमित चिकित्सा जांच के लिए यहां सरकारी जे जे अस्पताल लेकर गयी। ईडी ने सीबीआई द्वारा 21 अप्रैल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद देशमुख और उनके साथियों के विरुद्ध जांच शुरू की थी।

सीबीआई ने देशमुख पर भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की थी। ईडी का आरोप है कि देशमुख ने राज्य के गृह मंत्री रहने के दौरान अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और निलंबित पुलिसकर्मी सचिन वाझे के जरिए मुंबई में विभिन्न बार और रेस्त्रां से 4.70 करोड़ रुपये से अधिक एकत्रित किए।

ईडी ने मामले में दो अन्य व्यक्तियों संजीव पलांदे और कुंदन शिंदे को भी गिरफ्तार किया है। अतिरिक्त जिलाधीश रैंक के अधिकारी पलांदे देशमुख के निजी सचिव के तौर पर काम कर रहे थे, जबकि शिंदे देशमुख के निजी सहायक थे। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने के मामले में 21 अप्रैल को देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ईडी ने पूर्व मंत्री और उनके साथियों के खिलाफ जांच शुरू की थी।

देशमुख के परिवार द्वारा नियंत्रित नागपुर स्थित एक शैक्षणिक न्यास, ‘श्री साईं शिक्षण संस्थान’ में इस पैसे का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया। देशमुख ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लगातार खारिज करते हुए कहा कि एजेंसी का पूरा मामला एक दागी पुलिस वाले (वाजे) के दुर्भावनापूर्ण दिए बयानों पर आधारित है। 

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