लाइव न्यूज़ :

‘‘ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 1.8 लाख से अधिक आपराधिक अपील लंबित ’’

By भाषा | Updated: August 23, 2021 22:45 IST

Open in App

उच्चतम न्यायालय को सूचित किया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 1.8 लाख से अधिक आपराधिक अपीलें लंबित हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अभी न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं जबकि 93 न्यायाधीश कार्यरत हैं और अदालत ने 2000 के बाद से 31,044 ऐसी याचिकाओं का निपटारा किया है। बड़ी संख्या में लंबित मामलों और उनसे निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ के साथ पूर्व के आदेश का अनुपालन करते हुए साझा की गयी। आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा उन दोषियों को जमानत देने के लिए "व्यापक मानदंड" निर्धारित करने में मदद करने के लिए कहा गया था जिनकी अपील लंबे समय से लंबित है। कई सुझाव देते उन्होंने आपराधिक अपील दायर करने और लंबित होने का वर्ष-वार विवरण दिया और कहा, “अगस्त 2021 तक, लखनऊ पीठ और इलाहाबाद उच्च न्यायालय दोनों में करीब 1,83,000 आपराधिक अपीलें लंबित हैं।’’ न्यायालय से कहा गया है कि अगस्त 2021 तक, उत्तर प्रदेश राज्य की विभिन्न जेलों में 7,214 दोषसिद्ध अपराधी हैं, जो 10 साल से अधिक समय तक अपनी सजा काट चुके हैं और उनकी आपराधिक अपील माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।लंबित मामलों से निपटने के कदमों को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा कि 2000 से अब तक 31,044 आपराधिक अपीलों का निपटारा किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आपराधिक अपीलों के जल्दी निपटारे के लिए उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर परिपत्र और दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और कई समितियों का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जारी और 14 जुलाई 2014 से प्रभावी ‘रोस्टर’ के अनुसार, उन आपराधिक अपीलों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाती है, जहां आरोपी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए के मद्देनजर आधे से अधिक सजा काट ली है और आरोपी जेल में है। इसके अलावा हत्या, बलात्कार, डकैती और अपहरण से संबंधित मामलों की सुनवाई को भी प्राथमिकता दी जाती है।उन्होंने 102 पृष्ठों के दस्तावेज में कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चार समितियां काम कर रही हैं। सर्वोच्च अदालत गंभीर अपराधों में दोषियों की 18 आपराधिक अपीलों की सुनवाई कर रही थी जिनमें इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया गया है कि उन्होंने सात या अधिक साल जेल में बिता दिए हैं और उन्हें जमानत दी जाए क्योंकि दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील काफी समय से लंबित है और उन्हें उच्च न्यायालय में नियमित सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना अभी बाकी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत

भारतसुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को सफलता की कहानियों वाले दिव्यांग लोगों को शो में बुलाने और इलाज के लिए पैसे जुटाने का दिया निर्देश

भारत"कोर्ट के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है...", दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई