कर्नाटक में येदियुरप्पा को कुर्बान कर मोदी-शाह ने खेला है बड़ा दांव!
By आदित्य द्विवेदी | Published: May 20, 2018 07:05 AM2018-05-20T07:05:10+5:302018-05-20T07:05:10+5:30
कांग्रेस-जेडी(एस) जीत भले ही फिलहाल जीत का जश्न मना रही है लेकिन येदियुरप्पा के इस्तीफे से मोदी-शाह कुछ और हासिल करना चाहते हैं। पढ़ें बीजेपी की संभावित रणनीति का पूरा लेखा-जोखा।
बेंगलुरु, 20 मईः ढाई दिन के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफे की घोषणा से पहले विधानसभा में एक भावुक भाषण दिया। अपने भाषण में येदियुरप्पा ने पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया और कहा, शायद पहली बार किसी पीएम ने सीएम कैंडिडेट तय किया। भाषण के तुरंत बाद येदियुरप्पा राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने राजभवन चले गए। येदियुरप्पा ने भाषण के अंत में दो और बातें कही। पहली बात कि राज्य में जाऊंगा और जीत कर आऊंगा। दूसरी बात अगले साल लोकसभा की 28 में से 28 सीटें जीतेंगे। इन्हीं आखिरी दो बातों में मोदी-शाह की रणनीति के संकेत मिलते हैं। अधिक पढ़ेंः- ढाई दिन के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नाम दर्ज हुआ ये अनचाहा रिकॉर्ड
येदियुरप्पा की कुर्बानी से मोदी-शाह के तीन हित
- विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरों से बीजेपी की छवि खराब हो रही थी। येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बीजेपी कह सकती है कि विधायकों को पाले में लाने का काम येदियुरप्पा कर रहे थे। इससे पार्टी की छवि को कम नुकसान होगा।
- येदियुरप्पा किसी तरह से बहुमत साबित कर ले जाते हैं और सरकार बना लेते हैं तो इससे पूरे देश में बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचता। पीएम मोदी पर खरीद-फरोख्त को मौन सहमति देने के आरोप लगते। इसका नुकसान लोकसभा चुनाव में हो सकता है।
- आगामी लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस-जेडी(एस) की खींचतान जारी रह सकती है। एंटी एन्कम्बेंसी फैक्टर भी लग सकता है जिसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। बीजेपी नैतिकता का तर्क भी दे सकती है कि हमने खरीद-फरोख्त करने से बेहतर सत्ता की कुर्बानी समझी।
गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही बीजेपी की कर्नाटक में सरकार गिर गई है। येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के साथ ही कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट टल गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विश्वास मत पेश किया था। बीजेपी के पास 104 सीटें थी लेकिन बहुमत के लिए उसे 112 सीटों की जरूरत थी।