दिल्ली: देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा को लेकर बेहद आक्रामक अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को घेरा है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते 3 मई से मणिपुर में भड़की सामुदायिक हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को कठघरे में खड़ा करते हुए सोमवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी वाकई मणिपुर की स्थिति को लेकर चिंतित हैं तो सबसे पहले वो मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को फौरन पद से बर्खास्त करें।
देश की सबसे बड़ी विपक्षी दल के अगुवा मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्विटर पर बेहद तीखे हमले करते हुए कहा कि केंद्र की सत्ताधारी भाजपा सरकार चाहे जितने भी प्रचार करे लेकिन वो मणिपुर की असफलता के लगे दाग को कभी मिटा नहीं सकती है।
खड़गे ने अपने ट्वीट में कहा, "ऐसी ख़बर चल रही है कि आख़िरकार मणिपुर पर गृहमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी जी से बात की है। पिछले 55 दिनों से मोदी जी ने मणिपुर पर एक शब्द नहीं कहा। पूरा देश उनकी "मणिपुर की बात" सुनने का इंतज़ार कर रहा है। अगर मोदी जी सही में मणिपुर के बारे में कुछ भी सोचते हैं तो सबसे पहले अपने मुख्यमंत्री को बर्ख़ास्त कीजिये। उग्रवादी संगठनों व असामाजिक तत्वों से चुराए हुए हथियार ज़ब्त करें। सभी पक्षों से बातचीत शुरू करें और साझा राजनैतिक रास्ता निकाला जाए। सुरक्षा बलों की मदद से ब्लॉकेड ख़त्म करे। राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलकर और सुरक्षित रखकर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे। प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए। घोषित राहत पैकेज अपर्याप्त है। भाजपा और मोदी सरकार का कोई भी प्रोपेगेंडा मणिपुर हिंसा में उनकी घोर विफलताओं पर पर्दा नहीं डाल सकता।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने ट्वीट में पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को लेकर सीधा व्यंग्य पीएम मोदी पर करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य इस समस्या को बेहद गंभीर तरीके से ले और शांति के लिए सभी पक्षों से बात करे ताकि विवाद का समाधान आम सहमति से निकाला जा सके।
उन्होंने प्रधानमंत्री को सलाह दिया कि अगर मोदी जी को लेशमात्र भी मणिपुर की जनता के बारे में चिंता है तो वो सबसे पहले सूबे के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद से हटाएं, उसके बाद सभी पक्षों से खुले मन से बात करें। इसके साथ ही खड़गे ने कहा कि हिंसा में भाग ले रहे विद्रोहियों का तेजी के साथ और सख्ती से दमन किया जाए और विद्रोही संगठनों द्वारा लूटे गये हथियारों को जब्त किया जाए।
इसके साथ संबंधित पक्षों से सत्ता के प्रभावशाली लोग बातचीत शुरू करें, जिससे शांति का कॉमन रास्ता खोजा जा सके। इसके अलावा शांति व्यवस्था में लगे सुरक्षा बल हिंसक इलाकों की नाकेबंदी खत्म करें और राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलकर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
केंद्र और राज्य सरकार बेहद तेजी से हिंसा प्रभावित लोगों के लिए राहत एवं पुनर्वास की व्यवस्था करे और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि वो अपने सामान्य जीवन की ओर तेजी से लौट सकें।