देश भर में हर क्षेत्र में स्टार्टअप मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब मोदी सरकार ने मंद पड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए गाय आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा देने का प्लान बनाया है. अंतरिम बजट के तहत बनाये गए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इसके लिए पूरा खाका खीच लिया है.
सरकार इस मॉडल को स्थापित करने के लिए पूरे देश में उन स्टार्टअप को बढ़ावा देगी जो गाय के दूध से बने उत्पादों की मार्केटिंग करेंगे. इसके अलावा सरकार खुद इसके लिए नए स्टार्टअप के गठन पर विचार कर रही है. पीपीपी मॉडल के जरिये अपनी इस योजना को मूर्त रूप देना चाहती है.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गौशालाओं को भी नई तकनीकों से लैस करेगी, उन्हें लोन उपलब्ध करवाया जायेगा ताकि गाय आधारित उत्पादों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सके. सरकार का इस योजना के जरिये मुख्य लक्ष्य रोज़गार के मौके उत्पन्न करना है.
हाल ही में जारी हुई एनएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में बेरोज़गारी अपने उच्चतम स्तर पर है जिसके कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार मंद हुई है. खपत कम होने से रोज़गार का संकट बदस्तूर जारी है.
ग्रामीण भारत से शहरों की तरफ पलायन चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में सरकार की मंशा लोगों को गांवों में ही रोज़गार उपलब्ध करवाने की है. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गो मूत्र से बने उत्पाद और गोबर से तैयार आर्गेनिक खाद के मार्केटिंग के लिए स्टार्टअप मॉडल को विकसित करेगी.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के मुताबिक, हर घर में कम से कम एक गाय की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है. अंतरिम बजट में कामधेनु आयोग के लिए 500 करोड़ की व्यवस्था की गई थी.