नई दिल्लीः मोदी सरकार विनिवेश के नाम पर भारत सरकार की उन कंपनियों को भी बेच रही है जो भारी मुनाफ़ा कमा रहीं हैं। सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार सरकार ऐसी ही एक कंपनी सीईएल को 29 नवंबर को महज़ 210 दस करोड़ में एक ऐसी कंपनी को बेच दिया जो दिवालिया घोषित होने की कगार पर खड़ी है।
एनएफ एंड एल नाम की कंपनी और सरकार में बैठे लोगों के बीच सांठगांठ को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि सामरिक महत्व की कंपनी सीईएल ऐसे हाथों में दी गयी जिसके पास महज़ 10 कर्मचारी थे और इस क्षेत्र का कोई अनुभव भी नहीं है। जबकि सीईएल रक्षा मंत्रालय के लिये उपकरण बनाने का काम करती है।
हैरानी की बात तो यह थी कि सीईएल के पास 2018 वर्ग मीटर ज़मीन है। यदि सर्किल रेट से आंकलन करें तो उत्तर प्रदेश सरकार के यूपीएसआईडीसी द्वारा निर्धारित सर्किल रेट 21803 की दर से केवल ज़मीन की ही कीमत 440 करोड़ बैठती है जिसमें सीईएल की अन्य सम्पत्तियां शामिल नहीं हैं।
भ्र्ष्टाचार की बू तब आने लगी जब सीईएल के दस्तावेज़ों से खुलासा हुआ कि उसके पास 1592 करोड़ के ऑर्डर पड़े हैं जिनको पूरा करने पर सीईएल को 730 करोड़ का लाभ होगा। कांग्रेस ने इस मुद्दे को पकड़ कर आज मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पूछा की मुनाफा कमाने वाली कंपनी को कौड़ियों के भाव क्यों बेचा गया। उनका आरोप था कि कंपनी बेचने में नियमों का खुला उलंघन किया गया है।