नई दिल्ली: कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समान लगातार तीसरा कार्यकाल पाना बेहद चुनौती भरा साबित होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि संख्याबल में कम होने के कारण मोदी को एक तरफ चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी और दूसरी तरह नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के सहारे अपनी सत्ता को चलाना होगा।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एनडीए में मोदी सरकार की नैया पार लगाने वाली तेलुगू देशम पार्टी के बाद दूसरे नंबर पर आने वाली नीतीश कुमार की जेडीयू में अपने 12 सांसदों के समर्थन के एवज में रेल मंत्रालय सहित कैबिनेट में कई बड़े पोर्टफोलियो पाने के लिए भारी मंथन चल रहा है।
जेडीयू के प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने राजद के तेजस्वी यादव के साथ उड़ान साझा करने के संबंध में कहा, “यह महज एक संयोग है कि दोनों नेता एक ही फ्लाइट से दिल्ली जा रहे थे। हम मजबूती से एनडीए के साथ हैं और लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की उम्मीद कर रहे हैं।"
सूत्रों का कहना है कि जदयू का यह समर्थन नरेंद्र मोदी और भाजपा को एक भारी कीमत पर ही मिलेगा। मामले में पार्टी नेताओं का कहना है कि 2019 के विपरीत जब जदयू ने 16 सीटें जीती थीं, लेकिन उसे एक भी मंत्री पद की पेशकश की गई थी, क्योंकि भाजपा अपने दम पर बहुमत में थी। लेकिन इस बार स्थितियां अलग है, भाजपा बहुमत के आंकड़े 272 से कोसों दूर है और उसे बहुमत पाने के लिए जदयू के 12 सांसदों के समर्थन की दरकार है।
सूत्रों ने बताया कि संभावित मोदी सरकार में जदयू की नजर न केवल रेलवे बल्कि ग्रामीण विकास और जल शक्ति जैसे बड़े मंत्रालयों पर भी है। इसके अलावा पार्टी अन्य विकल्पों में परिवहन और कृषि मंत्रालय पर भी विचार कर रही है।
एक जदयू नेता ने कहा, “नीतीश ने एनडीए सरकार में रेलवे, कृषि और परिवहन विभाग संभाले हैं। हम चाहते हैं कि हमारे सांसद ऐसे विभाग मिलें, जो बिहार के विकास में मदद कर सकें। घटते जल स्तर और बाढ़ की चुनौतियों के साथ-साथ जल संकट का सामना कर रहे बिहार के संदर्भ में जल शक्ति महत्वपूर्ण है। हम नदी परियोजनाओं को जोड़ने पर भी जोर दे सकते हैं।''
नीतीश की पार्टी के नेता ने तर्क दिया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और उसके साथ रेलवे मिलना निश्चित रूप से बिहार के लिए गर्व की बात होगी।
इतना ही नहीं पार्टी नेताओं का कहना है कि जब एनडीए अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ेगा तो वे चाहते हैं कि नीतीश कुमार ही एनडीए का नेतृत्व करें। उन्होंने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि राज्य में निकट भविष्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है।
संभावित मंत्री पद की दौड़ में आधा दर्जन से अधिक लोकसभा और राज्यसभा जदयू सांसद शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि पार्टी को मंत्री पद बांटने में "उच्च जाति, एक ओबीसी कुशवाह और एक ईबीसी नेता" के बीच संतुलन बनाना होगा।