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निर्भया कांड: दया याचिका को गृह मंत्रालय अब राष्ट्रपति के पास भेजेगा

By रामदीप मिश्रा | Updated: December 4, 2019 16:56 IST

निर्भया की मौत 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर स्थित माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी। मामले में एक आरोपी राम सिंह ने जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था और हत्या एवं दुष्कर्म के मामले में अधिकतम तीन साल तक सुधारगृह में रहने की सजा काट चुका है। 

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ठळक मुद्देदिल्ली में हुए 'निर्भया' सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या के एक दोषी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दायर की है।गृह मंत्रालय ने कहा है कि  2012 के दिल्ली बलात्कार और हत्या के मामले के एक दोषी की दया याचिका मिली है।

दिल्ली में हुए 'निर्भया' सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या के एक दोषी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दायर की है, जिसकी जानकारी गृह मंत्रालय ने बुधवार (04 दिसंबर) दी है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि  2012 के दिल्ली बलात्कार और हत्या के मामले के एक दोषी की दया याचिका मिली है, जिसे जल्द ही राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। बता दें, दिल्ली सरकार पहले ही दया याचिका को खारिज कर चुकी है।

दया याचिका दायर करने वाला शख्स 16-17 दिसंबर 2012 की दरमियानी रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या करने का दोषी है। इस अपराध को एक नाबालिग सहित छह लोगों ने अंजाम दिया था और पीड़िता को सड़क के किनारे फेंक दिया था।  उल्लेखनीय है कि जेल अधीक्षक ने 29 अक्टूबर को चार दोषियों को नोटिस जारी कर कहा था कि इस नोटिस की पावती मिलने के बाद केवल सात दिन दया याचिका दायर करने के लिए हैं। अगर दया याचिका दायर नहीं की जाती है तो जेल प्रशासन 'डेथ वारंट' (मृत्यु अधिपत्र) जारी कराने के लिए अदालत से संपर्क कर सकता है। 

निर्भया की मौत 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर स्थित माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी। मामले में एक आरोपी राम सिंह ने जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था और हत्या एवं दुष्कर्म के मामले में अधिकतम तीन साल तक सुधारगृह में रहने की सजा काट चुका है। 

तीन दोषी इस समय तिहाड़ जेल में कैद हैं, जबकि एक दोषी मंडोली जेल में है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ जुलाई को तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की 2017 में सुनाई गई फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही दिल्ली और निचली अदालत की ओर से मिली सजा को बरकरार रखा था। मामले में दोषी चौथे आरोपी अक्षय कुमार सिंह ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी। 

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