संसदीय समिति के सदस्यों ने डाटा संरक्षण विधेयक में जुर्माने की राशि घटाने के प्रस्ताव का विरोध किया

By भाषा | Updated: November 13, 2021 20:42 IST2021-11-13T20:42:05+5:302021-11-13T20:42:05+5:30

Members of Parliamentary Committee oppose the proposal to reduce the amount of fine in the Data Protection Bill | संसदीय समिति के सदस्यों ने डाटा संरक्षण विधेयक में जुर्माने की राशि घटाने के प्रस्ताव का विरोध किया

संसदीय समिति के सदस्यों ने डाटा संरक्षण विधेयक में जुर्माने की राशि घटाने के प्रस्ताव का विरोध किया

नयी दिल्ली, 13 नवंबर डाटा संरक्षण विधेयक का अध्ययन कर रही संसद की एक समिति के कुछ सदस्यों ने निजता के नियमों का उल्लंघन करती पाई गयीं बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर जुर्माने की राशि उनकी वैश्विक कमाई के निश्चित प्रतिशत से कम करके कुछ करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया है।

सूत्रों ने शनिवार को बताया कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की शुक्रवार को यहां बैठक हुई जिसमें विधेयक पर मसौदा रिपोर्ट को अपनाया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि प्रस्तावित विधेयक में कुछ और संशोधन सुझाये गये हैं।

सूत्रों ने कहा कि विधेयक पर मसौदा रिपोर्ट को अपनाने के लिए समिति की बैठक 22 नवंबर को होगी। समिति के अनेक सदस्यों ने जुर्माने की राशि कम करने का विरोध किया जिसमें बीजू जनता दल के सदस्य भर्तृहरि महताब और अमर पटनायक तथा कांग्रेस के मनीष तिवारी एवं जयराम रमेश थे।

विधेयक के अनुसार वैयक्तिक डाटा का प्रसंस्करण या हस्तांतरण नियमों का उल्लंघन है जिसके लिए जिम्मेदार कंपनी पर 15 करोड़ रुपये या उसकी वार्षिक आय का चार प्रतिशत, जो भी अधिक हो, के जुर्माने का प्रावधान है। डाटा ऑडिट नहीं कराने पर पांच करोड़ रुपये या कंपनी के वार्षिक टर्नओवर का दो प्रतिशत, जो भी अधिक हो, का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया कि इस विधेयक के तहत निजता नियमों का उल्लंघन करते हुए पाई गयीं प्रौद्योगिकी कंपनियों पर जुर्माने की राशि कुछ करोड़ रुपये तक सीमित किया जाए। प्रस्ताव में सुझाव दिया गया कि वार्षिक राजस्व के विकल्प पर विचार नहीं किया जाए।

उन्होंने कहा कि अगले महीने होने वाली अगली बैठक में अंतिम मसौदा साझा किया जाएगा।

इस बारे में जब बीजद सांसद अमर पटनायक से संपर्क किया गया तो उन्होंने जुर्माने के प्रावधान के बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन विधेयक में प्रस्तावित केंद्रीय डाटा प्राधिकरण की तर्ज पर राज्य स्तर पर नियामक की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा कि केंद्रीय डाटा संरक्षण प्राधिकरण के लिए जिला डाटा संरक्षण प्राधिकरण का प्रस्ताव किये बिना जिला स्तर की शिकायतों समेत सभी शिकायतों पर ध्यान देना बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है।

पटनायक ने कहा कि समिति के सदस्य ऐसा विधेयक चाहते हैं जो नागरिकों की पूरी तरह निजता और सुरक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में यूरोपीय संघ के डाटा निजता कानून से कई समानताएं हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2019 में विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी थी। इसे पिछले साल लोकसभा में पेश किया गया। बाद में इसे भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया।

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Web Title: Members of Parliamentary Committee oppose the proposal to reduce the amount of fine in the Data Protection Bill

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