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मायावती ने अपने भाई आनंद को BSP के उपाध्यक्ष पद से हटाया, चुनावों में गठबंधन को लेकर रखी ये शर्तें

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 27, 2018 08:22 IST

मायावती ने कहा, 'अभी मैं अगले लगभग 20-22 वर्षों तक खुद ही आगे और सक्रिय रहकर पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाती रहूँगी।

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लखनऊ, 27 मईः बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के उच्च पद पर बैठे अपने भाई आनंद कुमार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल, शनिवार को मायावती नहीं कुमार बीएसपी के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। वहीं, उन्होंने आर.एस कुशवाहा को बीएसपी का नया प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है, जोकि इस समय बीएसपी राष्ट्रीय सचिव हैं। उन्हें ये पद राम अचल राजभर की जगह दिया गया है। इधर, आगामी चुनावों में पार्टी को गठबंधन को लेकर मायावती ने शनिवार कहा कि बीएसपी किसी भी राज्य में और किसी भी चुनाव में किसी पार्टी के साथ केवल सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही कोई चुनावी गठबन्धन-समझौता करेगी अन्यथा हमारी पार्टी अकेली ही चुनाव लड़ना ज्यादा बेहतर समझती है। बसपा अध्यक्ष लखनऊ में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित पार्टी की अखिल भारतीय बैठक को संबोधित कर रही थी।

उन्होंने कहा, 'हालांकि इस मामले में हमारी पार्टी की उत्तर प्रदेश सहित कई और राज्यों में भी गठबन्धन करके चुनाव लड़ने की बातचीत चल रही है, लेकिन फिर भी आप लोगों को हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिये अपने-अपने प्रदेश में पार्टी के संगठन को हर स्तर पर तैयार करना है।' 

मायावती ने कहा, 'अभी मैं अगले लगभग 20-22 वर्षों तक खुद ही आगे और सक्रिय रहकर पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाती रहूँगी और अब ऐसे में अगले लगभग 20-22 वर्षों तक पार्टी में किसी को भी पार्टी का मुखिया बनने का सपना नहीं देखना चाहिये और न ही किसी को अभी मेरा उत्तराधिकारी बनने का भी सपना देखना चाहिये।' 

उन्होंने कहा, 'मैं पार्टी कार्यकर्ताओ का ध्यान जल्द ही लोकसभा के होने वाले आम चुनाव की तरफ तथा इससे पहले देश के कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तरफ भी दिलाना चाहती हूँ। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने के मामले में भाजपा की किरकिरी होने की वजह से अब यह पार्टी समय से पहले भी लोकसभा के आम चुनाव करा सकती है।' 

मायावती ने अपनी पार्टी के संविधान में कुछ जरूरी फैसले लिये जाने की जानकारी देते हुए बताया, 'मुझे खुद को भी मिलाकर तथा मेरे बाद अब आगे भी बसपा का जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जायेगा तो फिर उसके जीते-जी व ना रहने के बाद भी उसके परिवार के किसी भी नजदीकी सदस्य को पार्टी संगठन में किसी भी स्तर के पद पर नहीं रखा जायेगा अर्थात उनके परिवार के सदस्य बिना किसी पद पर बने रहकर और एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में ही केवल अपनी निःस्वार्थ भावना के साथ ही पार्टी में कार्य कर सकते है।' लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर के सब्सक्राइब करें

टॅग्स :मायावतीबहुजन समाज पार्टी (बसपा)उत्तर प्रदेश
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