लाइव न्यूज़ :

विवाह खर्च विवाद : कलम से लेकर संपत्ति तक, उच्च न्यायालय चाहता है कि हर खर्च का ब्यौरा तैयार हो

By भाषा | Updated: August 6, 2020 20:35 IST

उच्च न्यायालय ने 2015 में निर्देश जारी किए थे और पति-पत्नी द्वारा संपत्तियों, आय और खर्च के हलफनामे दायर करने का प्रारूप तय किया था। बाद में अदालत ने मई और दिसम्बर 2017 में निर्देश और प्रारूप में बदलाव किया था। 

Open in App
ठळक मुद्देदिल्ली उच्च न्यायालय की तरफ से जारी निर्देश में बृहस्पतिवार को कहा गया कि दंपति की संपत्ति का विस्तृत ब्यौरा, आय और खर्च से जुड़ा विस्तृत हलफनामा देना अनिवार्य है न्यायमूर्ति जे. आर. मिधा का मानना था कि वैवाहिक न्याय क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है

नयी दिल्ली: वैवाहिक विवाद में उलझे पति-पत्नी को मोबाइल का ब्रैंड, कलाई घड़ी, कलम, घरेलू सहायकों को दिया जाने वाला वेतन, पर्व -त्योहार और कार्यक्रमों पर होने वाले खर्च की पूरी सूची बनानी होगी और अदालत के समक्ष पेश करना होगा ताकि उनकी वास्तविक आय तय की जा सके। दिल्ली उच्च न्यायालय की तरफ से जारी निर्देश में बृहस्पतिवार को कहा गया कि दंपति की संपत्ति का विस्तृत ब्यौरा, आय और खर्च से जुड़ा विस्तृत हलफनामा देना अनिवार्य है ताकि उनकी वास्तविक आय का पता लगाया जा सके और देखरेख खर्च, स्थायी निर्वाह व्यय और संयुक्त संपत्ति में अधिकार को तय किया जा सके।

न्यायमूर्ति जे. आर. मिधा का मानना था कि वैवाहिक न्याय क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और देखरेख खर्च से जुड़े आवेदनों पर तेजी से निर्णय किया जाना चाहिए। उन्होंने निचली अदालतों से कहा कि देखभाल कार्यवाही में तेजी लाएं और प्रयास करें कि उन पर तय समय के अंदर निर्णय हो जाए।

उच्च न्यायालय ने अपने 79 पन्नों के आदेश में कहा, ‘‘यह अदालत का काम है कि पक्षों की सही आय तय करें और देखभाल से जुड़े मामले में उचित आदेश पारित करें। सच्चाई ही न्याय की आधारशिला है। सच्चाई पर आधारित न्याय ही न्याय व्यवस्था की मूल विशेषता है। सच्चाई की जीत पर ही लोगों का अदालतों में विश्वास होगा। सच्चाई पर आधारित न्याय से ही समाज में शांति आएगी।’’

अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि कानून में संपत्ति, आय और पक्षों द्वारा खर्च का विस्तृत हलफनामा निर्धारित प्रारूप में दायर करने का नियम शामिल किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार से कहा कि वह इस सुझाव पर विचार करे। इसने वरिष्ठ वकील सुनील मित्तल, अदालत की सहयोगी अनु नरूला और कानून पर शोध करने वाले अक्षय चौधरी के सहयोग की प्रशंसा की।

अदालत ने कहा कि इसने ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका में वैवाहिक विवादों में संपत्ति, आय और खर्च के हलफनामे दायर करने का प्रारूप देखा है और प्रारूप में कुछ महत्वपूर्ण सवालों और दस्तावेजों को शामिल किया है। उच्च न्यायालय ने 2015 में निर्देश जारी किए थे और पति-पत्नी द्वारा संपत्तियों, आय और खर्च के हलफनामे दायर करने का प्रारूप तय किया था। बाद में अदालत ने मई और दिसम्बर 2017 में निर्देश और प्रारूप में बदलाव किया था। भाषा नीरज नीरज नरेश नरेश

टॅग्स :दिल्ली हाईकोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar Release Row: दिल्ली हाईकोर्ट ने CBFC से सर्टिफिकेशन से पहले शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार की चिंताओं पर विचार करने को कहा

भारतपति क्रूरता साबित करने में नाकाम और दहेज उत्पीड़न आरोपों को ठीक से खारिज नहीं कर पाया, दिल्ली उच्च न्यायालय का अहम फैसला

बॉलीवुड चुस्कीसंजय कपूर संपत्तिः 30,000 करोड़ रुपये?, सारी संपत्ति पत्नी को देना ‘स्वस्थ परंपरा’, पत्नी प्रिया कपूर ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा, करिश्मा कपूर के बच्चों ने पेंच फंसाया?

क्राइम अलर्टरिश्वत का पैसा शेयर बाजार में निवेश कर मुनाफा कमाया तो अपराध से अर्जित आय माना जाएगा, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-धन शोधन अपराध

भारतसहकर्मी की पत्नी से ‘अवैध संबंध’, मोबाइल, सोने का लॉकेट और ड्रेस उपहार में क्यों दी?, पति की अनुपस्थिति में घर जाना, बीएसएफ अधिकारी की बर्खास्तगी बरकरार

भारत अधिक खबरें

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित