Margaret Alva Interview: सोनिया गांधी के साथ रिश्तों से लेकर उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने के फैसले तक, मार्गरेट अल्वा ने क्या कहा, पढ़ें पूरा इंटरव्यू
By शरद गुप्ता | Published: July 27, 2022 10:25 AM2022-07-27T10:25:38+5:302022-07-27T10:25:38+5:30
मार्गरेट अल्वा इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की उम्मीदवार हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थानों को बचाने का है.
उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा 2009 के बाद से सक्रिय राजनीति से बाहर हैं. छत्तीसगढ़ भवन में उन्होंने लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से लंबी बात की. प्रस्तुत है मुख्य अंश...
- आप किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं?
मेरा सबसे बड़ा मुद्दा संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थानों को बचाने का है. आज लोकतंत्र खतरे में है.
- मोदी सरकार को जनता का समर्थन लगातार मिल रहा है. फिर लोकतंत्र खतरे में कैसे है?
क्या उन्हें कर्नाटक में बहुमत मिला था? या मध्यप्रदेश में या फिर महाराष्ट्र में? एक-एक कर राज्यों में जन समर्थन से बनी सरकारें भाजपा गिरा रही है और अपनी सरकार बना रही है. उनका कहना है कि चुनाव में जीते चाहे कोई भी, सरकार तो हम ही बनाएंगे. धन और बल के सहारे सरकारें बनाई जा रही हैं. राजनीतिक हित साधने के लिए सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग किया जा रहा है. लोकतंत्र की हत्या हो रही है. इसीलिए लोकतंत्र को बचाना जरूरी है.
- क्या राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम का असर उपराष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा?
इसमें मतदाताओं की संख्या बहुत कम है. देश के सांसद अधिक परिपक्व और समझदार हैं. सभी पार्टियों के सांसद वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चिंतित हैं. मुझे विश्वास है कि इस चुनाव में आपको कुछ चौंकाने वाले नतीजे दिखाई देंगे.
- यशवंत सिन्हा को मात्र 208 सांसदों का समर्थन मिला था. आपको क्या उम्मीद है?
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला थीं. इसीलिए कई पार्टियों के आदिवासी विधायकों और सांसदों ने उन्हें खुलकर वोट दिया. इसलिए भी सिन्हाजी को जितने वोट मिलने चाहिए थे उतने नहीं मिल पाए.
- तो क्या कांग्रेस पार्टी ने पिछले 75 वर्षों के दौरान किसी आदिवासी को इतने महत्वपूर्ण पद के लिए न उतार कर गलती की?
यह एक अलग सवाल है. कांग्रेस ने के. आर. नारायणनजी के रूप में पहला दलित राष्ट्रपति दिया, प्रतिभा पाटिलजी के रूप में पहली महिला राष्ट्रपति दी, डॉ. जाकिर हुसैन के रूप में पहला अल्पसंख्यक राष्ट्रपति दिया.
- एक अल्पसंख्यक वर्ग की दक्षिण भारतीय महिला होने के नाते क्या आपको यशवंत सिन्हा से अधिक वोट मिलने की आशा है?
मेरे मित्र और समर्थक सभी पार्टियों में हैं. मुझे विश्वास है कि वे पार्टी लाइनों से हटकर भी मुझे वोट देंगे. मेरा 50 वर्षों का स्वच्छ सामाजिक जीवन है.
- लेकिन अब तो तृणमूल कांग्रेस भी आप का समर्थन नहीं कर रही है?
मैं इतना ही कह सकती हूं कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
- फिर आपको बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कैसे है?
पूर्वोत्तर से लेकर महाराष्ट्र तक मैंने हर जगह काम किया है. मेरी ससुराल महाराष्ट्र में है. मेरे सास-ससुर स्वतंत्रता सेनानी थे. दोनों को साढ़े तीन वर्ष का कारावास हुआ था. एक आर्थर रोड जेल में थे और दूसरे येरवड़ा में. ससुर मुंबई के शेरिफ भी रहे. मैं खुद कांग्रेस में 5 वर्षों तक महाराष्ट्र की प्रभारी महासचिव रही हूं.
- आप पिछले छह वर्षों से राजनीति में सक्रिय नहीं थीं. क्या इस दौरान आप कांग्रेस में ही थीं?
2009 से 2014 तक मैं राज्यपाल रही तब मैं कांग्रेस की सदस्य नहीं थी. लेकिन उसके बाद से बराबर पार्टी में हूं. अब जरूर उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए मैंने पार्टी छोड़ दी है.
- आपने अपनी आत्मकथा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में कई बातें लिखी हैं. क्या आप अभी भी उन पर कायम हैं?
देखिए यह चुनाव मेरी किताब के बारे में नहीं है. मैं अपनी किताब का प्रचार अभियान नहीं चला रही हूं. उस पर अलग से जब चाहे जितनी चाहे बातें कर सकते हैं. मैं पीछे हटने वाली नहीं हूं. मैंने जो भी लिखा उस पर कायम हूं. लेकिन उसके कुछ अंश बिना संदर्भ के उद्धृत करना ठीक नहीं है.
- सोनिया गांधी से आपके कैसे रिश्ते हैं?
सोनियाजी से मेरे बहुत करीबी रिश्ते हैं. 2004 के बाद बतौर पार्टी अध्यक्ष उन्होंने मुझे 5 वर्षों तक अपने साथ पार्टी महासचिव बनाए रखा. आठ राज्यों का प्रभारी बनाया. इससे ज्यादा आपको क्या प्रमाण चाहिए?