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खुले में नमाज पर बोले मनोहर लाल खट्टर- 'ताकत दिखाना..जिससे भावनाएं भड़कती हैं, वह ठीक नहीं'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 22, 2021 08:54 IST

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में कहा कि किसी धर्म के सदस्य को सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक प्रार्थना नहीं करनी चाहिए।

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चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि किसी धर्म के सदस्य को सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। गुरुग्राम में खुले में नमाज पर कुछ हिंदू संगठनों के विरोध के बीच खट्टर ने यह बात कही है।

विधानसभा में शून्यकाल के दौरान नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने इस मुद्दे को उठाया था। इस पर खट्टर ने कहा कि सभी धर्मों के लोग निर्धारित धार्मिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में प्रार्थना करते हैं और सभी बड़े त्योहारों और कार्यक्रमों के लिए पहले से अनुमति दी जाती है। 

'ताकत दिखाने के लिए खुले में नमाज ठीक नहीं'

खट्टर ने अपने जवाब में आगे कहा, 'लेकिन ताकत दिखाना, जिससे दूसरे समुदाय की भावना भड़कती है, वह उचित नहीं हैं।' बता दें कि शुक्रवार से हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ है और यह दूसरी बार है जब इस मुद्दे को उठाया गया है। 

आफताब अहमद ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, 'कुछ तत्व लगातार जुमे की नमाज को बाधित कर रहे हैं। संविधान ने सभी को अपने धर्म के पालन की अनुमति दी है। किसी को भी प्रार्थना बाधित करने का अधिकार नहीं है। गुरुग्राम में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और शहर विकास का प्रतीक है। अगर कोई अपनी इच्छा से प्रार्थना नहीं पाएगा को क्या संदेश जाएगा?' 

इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, 'किसी भी समुदाय के सदस्य को खुले स्थान पर ऐसे कार्यक्रम नहीं करने चाहिए। अगर वे करना चाहते हैं तो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में कर सकते हैं। यह सभी की जिम्मेदारी है कि शांतिपूर्ण माहौल कायम रहे और समाज में कोई टकराव न हो।' 

ऐसे मुद्दे को हवा देने से बचने की जरूरत: खट्टर

उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि लोग कुछ स्थानों (गुरुग्राम) पर जुमे की नमाज के लिए सहमत हुए हैं और नयी व्यवस्था होने तक इसपर सहमति है। खट्टर ने कहा, 'लेकिन जब कुछ लोग ऐसे स्थानों के बाहर खुले में प्रार्थना करते हैं तो टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह स्थानीय मुद्दा है और ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसे हवा देनी चाहिए क्योंकि इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।' 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मों के वार्षिक कार्यक्रम चाहे दशहरा, रामलीला, उर्स आदि का आयोजन अनुमति से खुले में होता है। उन्होंने कहा, 'लेकिन दैनिक और साप्ताहिक (प्रार्थना) नहीं, उसके लिए निर्धारित स्थान है। जहां पर खुले स्थान पर प्रार्थना को लेकर विवाद हो, तो उसका समाधान आम सहमति से किया जाना चाहिए।'

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