गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर बोले मनीष तिवारी- हंसी आती है जब कांग्रेस के बारे में 'चपरासी' देते हैं 'ज्ञान'
By मनाली रस्तोगी | Updated: August 27, 2022 11:30 IST2022-08-27T11:04:07+5:302022-08-27T11:30:21+5:30
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह अजीब है कि जिन लोगों में वार्ड चुनाव लड़ने की भी क्षमता नहीं है, वे चुनाव जीतने की बात करना चाहते हैं।

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर बोले मनीष तिवारी- हंसी आती है जब कांग्रेस के बारे में 'चपरासी' देते हैं 'ज्ञान'
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शनिवार को कहा कि वह गुलाम नबी आजाद के 5 पन्नों के पत्र के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की आलोचना की थी। हालांकि, उन्होंने ये कहा कि लेकिन यह हंसने योग्य है कि जब लोग जो कल तक कांग्रेस नेताओं के चपरासी थे, आज ज्ञान दे रहे हैं। मनीष तिवारी ने कहा कि एक बेहतर शब्द के अभाव में यह हास्यास्पद है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, "हम गंभीर स्थिति में हैं। हम गंभीर स्थिति में आ गए हैं। जो हुआ वह खेदजनक, दुर्भाग्यपूर्ण और, मेरे अनुमान में, शायद टालने योग्य है। मैं आजाद के पत्र के गुण-दोष में नहीं जाना चाहता। वह यह समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे कि पत्र का संदर्भ क्यों या क्या है। पत्र अपने लिए बोलता है। लेकिन यह कहना काफी है कि कभी-कभी यह अजीब होता है कि जिन लोगों में वार्ड चुनाव लड़ने की भी क्षमता नहीं होती, वे चुनाव जीतने की बात करना चाहते हैं।"
जी-23 के बारे में बात करते हुए पंजाब सांसद ने कहा कि पार्टी के 23 नेताओं ने दो साल पहले सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। जी-23 में तिवारी शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई। अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते हैं, तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग-अलग सोचना शुरू कर दिया है।
#WATCH | Congress MP M Tewari says, "Don't want to go into merits of Mr Azad's letter, he'd be in best position to explain...But strange that people who don't have capacity to fight a ward poll, were "chaprasis" of Congress leaders when give "gyaan" about party it's laughable..." pic.twitter.com/9dKLO2y2S8
— ANI (@ANI) August 27, 2022
मनीष तिवारी ने एएनआई से कहा, "ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में दरार आ गई है। आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी। 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती।" बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता के साथ सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।