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दूसरी बार डिप्टी CM बने मनीष सिसोदिया, जानें पत्रकार से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री बनने तक का पूरा सफर

By स्वाति सिंह | Updated: February 16, 2020 12:17 IST

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। साल 1993 में सिसोदिया ने भारतीय विद्या भवन से जनसंचार में डिप्लोमा किया।

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ठळक मुद्देमनीष सिसोदिया ने रविवार को दूसरी बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।मनीष सिसोदिया ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की।

आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने रविवार को दूसरी बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। मालूम हो कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में पटपड़गंज सीट से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीसरी बार चुनाव जीते हैं। यहां मनीष सिसोदिया को 70,163 वोट मिले, जबकि उनके सबसे करीबी बीजेपी उम्मीद रविंद्र सिंह नेगी को 66,956 वोट मिले।

बता दें कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। साल 1993 में सिसोदिया ने भारतीय विद्या भवन से जनसंचार में डिप्लोमा किया। इसके बाद साल 1996 में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए 'जीरो ऑवर' प्रोग्राम होस्ट किया। मनीष सिसोदिया ने साल 1997 से 2005 तक 'जी  न्यूज' में न्यूज प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया। 

इसके बाद सिसोदिया ने 'कबीर' एनजीओ द्वारा एक्टिविज्म के क्षेत्र में पैर रखा। इसके बाद वह 'परिवर्तन' नाम के एनजीओ के साथ जुड़ें। मालूम हो कि इसी एनजीओ ने सूचना के अधिकार (RTI) अभियान चलाया था। सिसोदिया भी उन नौ लोगों में शामिल थे, जिन्हें अरुणा रॉय ने सूचना का अधिकार अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिए चुना था।

अन्ना के आंदोलन से लाइम लाइट में आने के बाद हुआ 'AAP ' का गठन

इसके बाद साल 2006 में सिसोदिया ने केजरीवाल और अभिनंदन सेखरी के साथ मिलकर पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की। मनीष सिसोदिया सबसे पहले 2011 में तब लाइम लाइट में आए जब भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़े। इसके बाद अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी का गठन किया। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस और एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की। शिक्षा के अलावा वित्त, टूरिज्म, महिला और बाल विकास जैसे अहम विभाग संभालते सिसोदिया ने पिछले वित्त वर्ष के बजट में कई खास चीजें रखीं और इसे नाम दिया ग्रीन बजट।

साल 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में सिसोदिया, भारतीय जनता पार्टी के नकुल भारद्वाज को हराकर विधायक बने। सिसोदिया ने यहां 11478 मतो से जीत हासिल की। हालांकि, इस चुनाव में AAP के पास पूर्ण बहुमत न होने की वजह से केजरीवाल ने इस्तीफ दे दिया। इसके बाद साल 2015 में एक बार फिर मनीष सिसोदिया पटपड़गंज विधानसभा से चुनाव लड़े और चुनाव में जीत हासिल की। इस बार उन्होंने बीजेपी के विनोद कुमार बिन्नी को 24000 से ज्यादा मतों से हराया। 

2015 विधानसभा चुनाव मनीष सिसोदिया ने मारी थी बाजी 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में पटपड़गंज में कुल 1,40,875 वोट पड़े। 75,477 मत प्राप्त कर आप के मनीष सिसोदिया यहां से विजेता बने। दूसरे नंबर पर 46,716 वोट के साथ बीजेपी के विनोद कुमार बिन्नी रहे। वहीं 16,260 वोट कांग्रेस के अनिल कुमार को मिला। कुल मतदान का 53।58 प्रतिशत वोट अकेले मनीष सिसोदिया को मिला और वे भारी अंतर से चुनाव जीते।

शिक्षा के क्षेत्र में काम के लिए मिले अवॉर्ड

    दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को साल 2016 में 100 सबसे प्रभावशाली भारतीयों की सूची में शामिल किया गया था। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए काम के लिए सिसोदिया को साल 2019 में चैंपियन ऑफ चेंज अवॉर्ड से नवाजा गया। 

    विवादों से भी जुड़ा नाता

    कुछ विवादों में भी मनीष सिसोदिया नाम सामने आया।  हाल ही में एक घूसकांड में सीबीआई ने दिल्ली सरकार के जिस अधिकारी को पकड़ा, वो डिप्टी सीएम सिसोदिया का ओएसडी है। इस कार्रवाई पर अधिकारी का किसी तरह बचाव न करते हुए सिसोदिया ने घूसखोर अधिकारी पर सख्त एक्शन की बात की। जामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के दौरान फेक न्यूज शेयर करने के आरोप में सिसोदिया पर दिल्ली की एक अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी।

    मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी 1972 में हुआ था। मनीष सिसोदिया दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के साथ-साथ उनके पास शिक्षा, उच्च शिक्षा, जन निर्माण विभाग (पी डब्ल्यू डी), शहरी विकास, स्थानीय निकाय, भूमि एवं भवन तथा रेवेन्यू विभाग हैं। मनीष सिसोदिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। सामाजिक कार्य करने से पहले वह एक निजी समाचार कम्पनी जी न्यूज में कार्यरत थे। वे सक्रिय आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) कार्यकर्ता भी हैं। वे 'अपना पन्ना' नामक हिन्दी मासिक पत्र के सम्पादक हैं। वे अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन के प्रमुख सदस्य रहे।

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