नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामे में दावा किया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना सरकार के काम को खतरे में डाल रहे हैं। हलफनामे में सिसोदिया ने कहा कि अधिकारी बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं या मंत्रियों के साथ फोन नहीं कर रहे हैं। हलफनामे में कहा गया कि एल-जी निर्वाचित सरकार के साथ सहयोग करने के लिए अधिकारियों को दंडित कर रहे हैं।
हलफनामे में आगे कहा गया, "विभागाध्यक्षों के बार-बार तबादले से नीति क्रियान्वयन में खामियां आती हैं। सहयोग के पूर्ण अभाव से सरकारी कार्यों में कमी आती है।" हलफनामा दिल्ली बनाम केंद्र मामले में सबसे हालिया किस्त है। राज्य सरकार ने कहा कि शीतकालीन प्रदूषण कार्य योजना और कचरा योजना ठप हो गई क्योंकि अधिकारी बैठकों में शामिल नहीं हुए।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री द्वारा पिछले 5 महीनों में 20 बैठकें बुलाई गईं, जिनमें से केवल एक में पर्यावरण और वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव शामिल हुए। हलफनामे में गया कि ये बैठकें अन्य बातों के साथ-साथ 2022 की शीतकालीन प्रदूषण कार्य योजना, मोबाइल एंटी-स्मॉग गन की खरीद, पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए थीं।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सौर नीति 2022, परिणाम बजट आदि जैसी परियोजनाओं की फाइलें नौकरशाहों द्वारा संबंधित मंत्रियों को नहीं भेजी गई हैं। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल अधिकारियों की नियुक्ति के लिए फाइलों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप रिक्त पद हैं और परियोजना निष्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।