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ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए बुलाई बिखरे विपक्षी कुनबे की बैठक, 5 दलों ने किया 'नमस्ते', लेफ्ट साथ आने को है तैयार, जानिए क्या है सियासी समीकरण

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 15, 2022 18:40 IST

राष्ट्रपति चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस की नेता और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। ममता बनर्जी ने भाजपा विरोधी दलों की नब्ज टटोलने के लिए एक बड़ी बैठक का आयोजन किया लेकिन भाजपा विरोधी कई दलों ने इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया, जिससे बनर्जी को भारी धक्का पहुंचा है।

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ठळक मुद्देतृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में दिल्ली पहुंची हैंभाजपा विरोधी दलों की नब्ज टटोलने के लिए ममता बनर्जी ने एक बड़ी बैठक का आयोजन कियालेकिन भाजपा विरोधी कई दल बैठक में शामिल नहीं हुए, जिससे उन्हें भारी धक्का पहुंचा है

दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बड़े चुनावी संघर्ष का अनुमान लगाया जा रहा है। केंद्र में सत्ताधारी भाजपा नीत एनडीए बहुमत की बाजीगरी से अपने उम्मीदवार को रायसीन हिल्स पर पहुंचाना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर उसके मुकाबले क्षेत्रीय दलों में बिखरे विपक्ष के कुनबे को समेटने वाली कांग्रेस मौजूदा समय में ईडी से दो-चार हो रही है।

इस बीच क्षेत्रीय छत्रपों में प्रमुख तृणमूल कांग्रेस की नेता और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। ममता बनर्जी ने भाजपा के विरोध में खड़े रहने वाले दलों की नब्ज टटोलने के लिए एक बड़ी बैठक का आयोजन किया लेकिन भाजपा विरोधी कई दलों ने इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया, जिससे उन्हें भारी धक्का पहुंचा है।

दरअसल ममता बनर्जी ने साल 2014 के बाद से कई बार कोशिश की कि वो विपक्ष की धुरी से कांग्रेस को खिसकाकर उस जगह पर खुद काबिज हो जाएं लेकिन मौजूदा हालात को भी देखें तो तृणमूल का यह ख्वाब उसके लिए दूर की गोटी नजर आ रहा है क्योंकि इसका सबसे कारण कांग्रेस है। क्षेत्रीय समीकरण और सेक्युलर वोटबेंक की राजनीति करने वाले गैर-बीजेपी दलों की आपसी नूरा-कुश्ती उस समय सतह पर आ गई जब राष्ट्रपति चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस द्वारा बुलाई गई बड़ी विपक्षी बैठक के गई दल गायब हो गये।

ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनाव के बहाने साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की जिस बंजर जमीन पर फसल लगाने की तैयारी कर रही थीं, विपक्षी दलों ने उनकी बैठक से कन्नी काटकर उन्हें बता दिया कि विपक्ष की जमीन अभी बहुत दलदली है। दरअसल कुछ दल विपक्ष की जमीन से कांग्रेस को बेदखल करना चाहते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी दल हैं, जो यह मानते हैं कि बिना कांग्रेस को शामिल किये ममता बनर्जी का विपक्ष की जमीन पर हल चलाना तो दूर वो ठीक से चल भी नहीं पाएंगी।

ममता बनर्जी के मंसूबे पर ईडी ने जमकर पानी फेर दिया। उसने राहुल गांधी को हेराल्ड मामले में तलब कर लिया और कांग्रेस ने राहुल गांधी से हो रही पूछताछ को शक्ति प्रदर्शन में बदल दिया। सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि बंगाल में तृणमूल ने जिस लेफ्ट को विदा किया, वो भी उसके साथ बैठक में शामिल होने के लिए सहमत हो गई है। लेकिन कांग्रेस विरोध के नाम पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने ममता की बैठक का बहिष्कार कर दिया और आम आदमी पार्टी ने 'वेट एंड वॉच' की पॉलिसी अपना ली।

टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव भाजपा को हराने के लिए ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करने के लिए तैयार हैं लेकिन कांग्रेस के शर्त पर नहीं। टीआरएस ने बैठक में कांग्रेस को आमंत्रित किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। टीआरएस ने कहा, "वह कांग्रेस के साथ किसी भी मंच को नहीं साझा करेगी।"

इसके साथ ही एआईएमआईएम के प्रमुख और हैरदाबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी कांग्रेस को विपक्ष के खेमेबंदी में शामिल किये जाने पर आपत्ति जताई है। ओवैसी ने कहा कि उन्हें ममता बनर्जी की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है और वैसे भी हम उस बैठक में शामिल नहीं होंगे जिसमें कांग्रेस पार्टी को आमंत्रित किया गया हो।

इसके अलावा पंजाब की प्रमुख पार्टी श्रीरोमणि अकाली दल ने भी बैठक में कांग्रेस की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए बैठक से दूर रहने का फैसला किया है। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के बारे में कयास लगाना अभी मुश्किल है कि वो विपक्ष के साथ जाएंगे या एनडीए के पाले में बैठेंगे। कुछ इसी तरह की अनिश्चितता बीजू जनता दल (बीजद) को लेकर भी है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सत्ता पक्ष की ओर जाएंगे कि विपक्ष की राह थामेंगे कहना बड़ा मुश्किल है।

अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' ने इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी न दिखाते हुए कहा कि वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा के बाद इस मामले पर गंभीरता से विचार करेगी। इसका मतलब स्पष्ट है कि सीएम केजरीवाल की पार्टी पहले विपक्ष के प्रत्याशी के देखेगी और और अपने नफे-नुकसान को तौलने के बाद उसके संबंध में कोई फैसला लेगी।

मालूम हो कि अगले राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होंगे और चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे। ममता बनर्जी केंद्र की मोदी सरकार को पटखनी देने के लिए सारे दांव आजमाने में लगी हुई हैं। यही कारण है कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के विए विपक्षी प्रत्याशी के चयन पर मंथन करने के लिए 22 राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।

ममता बनर्जी ने कोलकाता से दिल्ली पहुंचने के फौरन बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके घर जाकर मुलाकात की। खबरों के मुताबिक एनसीपी नेता शरद पवार के नाम पर कांग्रेस भी सहमत है, इसलिए अटकलों लगाई जा रही है कि शरद पवार राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की पहली पसंद हो सकते हैं।

टॅग्स :ममता बनर्जीशरद पवारराहुल गांधीअरविंद केजरीवालअखिलेश यादवनवीन पटनायकके चंद्रशेखर राव
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