नई दिल्ली, 4 अगस्त: 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित की याचिका पर विचार करने से खारिज कर दिया है।
कोर्ट में कर्नल पुरोहित ने अपहरण और यातना देने के मामले में एसआईटी जांच की कराने की उनकी याचिका पर विचार करने मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को निचली अदालत में उठाने को कहा।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि पुरोहित की याचिका पर इस समय विचार करने से मालेगांव मामले में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर असर पड़ सकता है।
पीठ ने हालांकि पुरोहित को निचली अदालत में उनकी दलीलें रखने की छूट प्रदान करते हुये कहा कि उनकी याचिका पर वह कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस समय इसमें क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए। इससे सुनवाई पर असर पड़ सकता है।’’
पुरोहित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि इस याचिका में उठाये गये मुद्दों पर गौर करने की आवश्यकता है।
परंतु पीठ ने उनसे कहा कि इन्हें निचली अदालत के समक्ष उठाया जाये।
पुरोहित इस समय जमानत पर हैं। उन्हें पिछले साल शीर्ष अदालत ने जमानत प्रदान की थी।
इससे पहले 22 जून को बंबई उच्च न्यायालय ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की एक याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली थी, इस याचिका में उन्होंने हाई कोर्ट और विशेष अदालत के उनके खिलाफ मामलों में उन्हें आरोप मुक्त नहीं करने के फैसलों को चुनौती दी थी।
18 दिसंबर, 2017 को उच्च न्यायालय ने विस्फोट मामले में पुरोहित के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये सरकार की ओर से दी गई अनुमति को रद्द करने से मना कर दिया था।
इससे पहले पिछले साल 27 दिसंबर को विशेष एनआईए अदालत ने मामले में उन्हें आरोप मुक्त करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
पुरोहित ने तब उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आधार पर एक बार फिर से उच्च न्यायालय का रुख किया था।
उन्होंने दलील दी थी कि मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये सरकार की ओर से दी गई अनुमति कानूनन गलत थी।
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुआ था बम धमाका
बता दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में बम धमाका हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। 20 नवंबर 2008 को मकोका लगा दिया गया और एटीएस ने 21 जनवरी 2009 को इस मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया।
महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। बाद में जांच एनआईए को सौंपी गई। एटीएस के मुताबिक कर्नल के संगठन 'अभिनव भारत' ने धमाकों की साजिश रची थी।
मई 2016 में अपनी चार्जशीट में एनआईए ने कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को धमाकों की साजिश के प्रमुख आरोपियों में से एक बताया। 25 अप्रैल 2017 को बांबे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दे दी, 23 अगस्त 2017 को कर्नल पुरोहित 9 साल बाद जेल से बाहर आए।
27 दिसंबर 2017 को कोर्ट ने श्रीकांत पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ मकोका हटा दिया। उनपर आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा।