नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के तीसरे कार्यकाल को रद्द करने का विपक्षी नेताओं ने स्वागत किया। इसके साथ ही शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे एजेंसी का दुरुपयोग करने वालों के चेहरे पर तमाचा बताया। चतुर्वेदी ने उनके कार्यकाल के विस्तार को अवैध बताते हुए मिश्रा द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की जांच की भी मांग की।
प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर लिखा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट का बेहतरीन निर्णय। उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो सत्ता का दुरुपयोग कर रहे थे और अवैध कार्यकाल विस्तार के माध्यम से आतंक और चरित्र हनन का माहौल बनाया था। साथ ही अगर ईडी निदेशक का एक्सटेंशन अवैध है तो उनके और उनकी टीम द्वारा लिए गए सभी फैसलों की जांच की जानी चाहिए अन्यथा उन्हें भी अवैध माना जाएगा।"
उन्होंने आगे लिखा, "इस चुभने वाले फैसले के बाद क्या ईडी निदेशक के पास महीने के अंत तक पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार है?" मिश्रा के विस्तार को याचिकाओं के एक समूह द्वारा चुनौती दी गई थी, जो शीर्ष अदालत के सितंबर 2021 के आदेश पर आधारित थी। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा समेत अन्य शामिल हैं।
लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने मिश्रा के सेवा विस्तार को अवैध करार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "भाजपा- हम आपसे चुनाव में लड़ेंगे, हम आपसे अदालत में लड़ेंगे। हम मैदानों और सड़कों पर लड़ेंगे, हम कभी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।"
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा को 2021 और 2022 में दिए गए दो एक्सटेंशन अवैध थे और उन्हें कार्यालय में बने रहने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि इस साल वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा की जा रही सहकर्मी समीक्षा के मद्देनजर और सुचारु परिवर्तन को सक्षम करने के लिए मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक रहेगा।
हालांकि, पीठ ने ईडी निदेशक के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन की पुष्टि की।