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कांग्रेस ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को बताया ‘क्रूर मजाक’, कहा- बीजेपी को विधायक खरीदने का मिलेगा वक्त

By भाषा | Updated: November 13, 2019 08:55 IST

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर राकांपा, शिवसेना और भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘‘मनमाने ढंग से’’ समय देने का आरोप भी लगाया।

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ठळक मुद्देपार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भी राज्यपाल के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि ये राष्ट्रपति शासन नहीं बल्कि ‘‘विद्वेषपूर्ण भाजपा’’ का राजनीतिक शासन है। सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ये बेईमानी से भरा हुआ और राजनीति से प्रेरित है।’’

कांग्रेस ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए निशाना साधते हुए कहा कि ये कार्रवाई न सिर्फ लोकतंत्र से ‘‘क्रूर मजाक’’ है, बल्कि साथ ही ऐसा ‘‘निंदनीय कार्य’’ है, जिसने संवैधानिक प्रथाओं को रौंदा है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर राकांपा, शिवसेना और भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘‘मनमाने ढंग से’’ समय देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करना न सिर्फ लोकतंत्र पर क्रूर मजाक है, बल्कि ये ऐसा निंदनीय कार्य है जिसने संवैधानिक प्रथाओं को रौंदा है।’’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल और दिल्ली के शासकों ने महाराष्ट्र के व्यथित किसानों और आम आदमी के साथ घोर अन्याय किया है।’’

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि एस आर बोम्मई फैसले के मुताबिक इस मामले में चार गंभीर संवैधानिक उल्लंघन किए गए हैं। सुरजेवाला ने लिखा, ‘‘महाराष्ट्र में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की दशा में राज्यपाल को बुलाना चाहिए - 1) चुनाव पूर्व सबसे बड़े गठबंधन, जो भाजपा-शिव सेना हैं, उसके बाद 2) चुनाव के बाद सबसे बड़े गठबंधन को, जो कांग्रेस-राकांपा हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर राज्यपाल अगल-अलग पार्टियों को बुला रहे हैं, तो उन्होंने कांग्रेस को क्यों नहीं बुलाया। और सबसे बढ़कर समय के बंटवारे में पूरी तरह मनमानी क्यों? भाजपा को 48 घंटे, शिवसेना को 24 घंटे और राष्ट्रपति शासन से पहले राकांपा को 24 घंटे भी नहीं।’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ये बेईमानी से भरा हुआ और राजनीति से प्रेरित है।’’ कोश्यारी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने का दावा करने के लिए मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक का समय दिया था और इस बीच उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की रिपोर्ट भेज दी। इसके बाद राष्ट्रपति ने इस आशय के फैसले पर हस्ताक्षर कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भी राज्यपाल के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि ये राष्ट्रपति शासन नहीं बल्कि ‘‘विद्वेषपूर्ण भाजपा’’ का राजनीतिक शासन है। महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्णय को शिवसेना ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन न्यायालय ने इस मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

उच्चतम न्यायालय में शिवसेना का प्रतिनिधित्व करने वाले कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं को बताया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के निर्देशों पर काम कर रहे हैं और दावा किया कि राष्ट्रपति शासन लगाने से राज्य में खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘पूरी कवायद का यही मकसद है। राष्ट्रपति शासन लगाने से इनको पूरा समय मिलेगा और इसके बाद दूसरे विधायकों को लाने के लिए धन बल का इस्तेमाल होगा। यह अधिकार का दुरुपयोग और अनैतिक है।’’ 

टॅग्स :महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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