महाराष्ट्र: शरद पवार की भूमिका पर उठ रहे सवाल

By शीलेष शर्मा | Updated: November 12, 2019 17:22 IST2019-11-12T17:22:18+5:302019-11-12T17:22:18+5:30

कांग्रेस के एक बड़े नेता ने लोकमत को जानकारी दी कि इसी बैठक में कांग्रेस शिवसेना को समर्थन का पत्र देने के लिए तैयार हो गई थी, चूंकि राकांपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे अत: कांग्रेस राकांपा के समर्थन पत्र की प्रतीक्षा में थी. 

Maharashtra Politics: Questions arising on Sharad Pawar role | महाराष्ट्र: शरद पवार की भूमिका पर उठ रहे सवाल

एनसीपी प्रमुख शरद पवार। (फाइल फोटो)

Highlightsमहाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश से पैदा हुए हालात को लेकर अब राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राष्ट्रपति शासन की कैबिनेट द्वारा दी गई मंजूरी के बाद ट्वीट किया कि राज्यपाल कोश्यारी  ने लोकतंत्र की न केवल हत्या की है बल्कि संवैधानिक प्रक्रिया का भी मजाक बना दिया है.

महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश से पैदा हुए हालात को लेकर अब राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. उच्च पदस्त सूत्रों के अनुसार सोमवार की शाम जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी महाराष्ट्र के नेताओं से शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने की चर्चा कर रही थीं और उसी दौरान उन्होंने शरद पवार से फोन पर बात कर यह जानने की कोशिश की कि क्या उन्होंने शिवसेना को राकांपा के समर्थन का पत्र दे दिया है? तो शरदपवार ने नकारत्मक उत्तर देते हुए कहा कि अभी इस मुद्दे पर चर्चा जारी है. 

कांग्रेस के एक बड़े नेता ने लोकमत को जानकारी दी कि इसी बैठक में कांग्रेस शिवसेना को समर्थन का पत्र देने के लिए तैयार हो गई थी, चूंकि राकांपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ी थीं अत: कांग्रेस राकांपा के समर्थन पत्र की प्रतीक्षा में थी. 

इन नेता ने बताया कि राकांपा द्वारा समर्थन पत्र शिवसेना को ना देने के कारण कांग्रेस ने भी अपने समर्थन का पत्र रोक दिया. शरद पवार ने सोनिया को दलील दी कि वह शिवसेना से उन तमाम मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं जिन पर सरकार के गठन का आधार टिका हुआ है. जिसमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम, कांग्रेस और राकांपा के घोषणापत्र  में किए गए वादों पर अमल तथा सत्ता में भगीदारी का सवाल शामिल है. जब तक यह चर्चा पूरी नहीं हो जाती तब तक पत्र देना ठीक नहीं होगा. 

सोनिया ने पवार के तर्क को आधार बताकर शिवसेना को दिया जाने वाला पत्र रोक दिया. अब यह भी सवाल उठ रहा है कि जब राज्यपाल ने आज देर शाम तक का समय राकांपा को अपना जवाब देने को दिया था तब दोपहर में ही राकांपा नेताओं ने राज्यपाल से अतिरिक्त समय की मांग क्यों की. आखिर उन्होंने शाम को होने वाली मुलाकात तक प्रतीक्षा क्यों नहीं की. यह जानते हुए कि कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल उनसे चर्चा करने के लिए मुम्बई पहुंच रहे हैं.

राज्यपाल कोश्यारी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के इस कथन को कि उन्हें और अधिक समय चाहिए, आधार बनाकर राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर डाली. जिसे आनन फानन में मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने मंत्रिमंडल में स्वीकार भी कर लिया. बदलते घटनाक्रम में पवार की भूमिका को लेकर सवाल उठने के साथ साथ राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. 

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राष्ट्रपति शासन की कैबिनेट द्वारा दी गई मंजूरी के बाद ट्वीट किया कि राज्यपाल कोश्यारी  ने लोकतंत्र की न केवल हत्या की है बल्कि संवैधानिक प्रक्रिया का भी मजाक बना दिया है. यह विशु्द्ध रूप से संवैधानिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन है जैसा कि बोम्मई मामले में अदालत ने कहा है. 

कांग्रेस ने वह आधार बताए हैं जिस पर बोम्मई मामले में फैसला दिया गया था. कांग्रेस ने पूछा कि भाजपा शिवसेना के सरकार ना बनापाने की स्थिति में आखिर राज्यपाल ने चुनाव पूर्व कांग्रेस राकांपा गठबंधन को आखिर क्यों आमंत्रित नहीं किया. राज्यपाल के फैसले पर अंगुली उठाते हुए कांग्रेस ने यह भी सवाल किया कि जब राज्यपाल कोश्यारी ने भाजपा, शिवसेना, राकांपा को बुलाया तो कांग्रेस को अपनी बात कहने का अवसर क्यों नहीं दिया?

Web Title: Maharashtra Politics: Questions arising on Sharad Pawar role

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