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नगर निकाय चुनावः नगर पंचायत और परिषद में 2431 सीट पर जीत?, 29 नगर निकाय, 2869 सीट पर बीजेपी की नजर, शिंदे और पवार को कम से कम सीट पर रणनीति?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 24, 2025 21:20 IST

Maharashtra Municipal Elections: मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम और मंत्री आशीष शेलार ने 16 दिसंबर को पूर्व सांसद राहुल शेवाले और विधायक प्रकाश सर्वे सहित शिवसेना नेताओं के साथ चुनावी गठबंधन को लेकर बातचीत की थी।

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ठळक मुद्दे227 सदस्यीय बीएमसी में शिवसेना को 60 से अधिक सीटें देने को लेकर अनिच्छुक है।उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी अधिक सीटों से लड़ने को इच्छुक है।भाजपा लगातार अपने संगठनात्मक आधार का विस्तार कर रही है।

 

मुंबईः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)महाराष्ट्र में बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी)समेत कई महत्वपूर्ण नगर निकाय चुनावों में अपने प्रदर्शन को ऐतिहासिक बनाने के उद्देश्य से शिवसेना के साथ गठबंधन की रणनीति को सावधानीपूर्वक पुनर्गठित करती नजर आ रही है, जिसमें संगठनात्मक महत्वाकांक्षाओं को चुनावी व्यावहारिकता और दीर्घकालिक राजनीतिक विचारों के साथ संतुलित किया जा रहा है। कई सूत्रों ने संकेत दिया है कि भाजपा 15 जनवरी को होने वाले चुनावों के लिए 227 सदस्यीय बीएमसी में शिवसेना को 60 से अधिक सीटें देने को लेकर अनिच्छुक है।

जबकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी इससे अधिक सीटों से लड़ने को इच्छुक है। स्थिति और भी जटिल हो गई है क्योंकि पड़ोसी ठाणे जिले में राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। ठाणे शिंदे का राजनीतिक गढ़ है और जहां भाजपा लगातार अपने संगठनात्मक आधार का विस्तार कर रही है।

भाजपा राज्य में एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)के साथ ‘महायुति’गठबंधन सरकार चला रही है। भाजपा के भीतर भी शुरुआत में अधिकतर नेता मुंबई महापलिका चुनावों में अकेले उतरने के पक्ष में थे, यह स्थिति ‘‘पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ न्याय’’ के तर्क पर आधारित थी।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित वरिष्ठ नेताओं ने स्थानीय निकाय चुनावों को बार-बार पार्टी कार्यकर्ताओं के चुनाव के रूप में वर्णित किया था, जिससे यह संकेत मिला कि भाजपा अकेले चुनाव लड़ेगी जिससे उसे अधिक उम्मीदवार उतारने और जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में मदद मिलेगी।

यह सोच पार्टी की हालिया चुनावी सफलताओं और इस विश्वास के अनुरूप भी थी कि उसके पास विरोधियों का स्वतंत्र रूप से मुकाबला करने की संगठनात्मक क्षमता है। हालांकि, हाल ही में संपन्न हुए नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों से संबंधित कुछ आंतरिक सर्वेक्षणों और प्रतिक्रियाओं के बाद यह रुख नरम पड़ता दिख रहा है।

उदाहरण के लिए, इन चुनावों में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कोंकण मंडल में भाजपा से अधिक सीटें जीतीं। भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक के अनुसार, पार्टी ने कई इलाकों में, विशेष रूप से शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए ‘‘उल्लेखनीय और स्थायी’’ समर्थन देखा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा कि हालांकि भाजपा कुल मिलाकर मजबूत बनी हुई है, लेकिन मुंबई के कुछ इलाकों में, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में प्रतिरोध है।’’ विधायक ने कहा, ‘‘महानगर पालिका चुनावों में, उम्मीदवारों का व्यक्तिगत जुड़ाव, उनकी सुलभता और स्थानीय छवि अक्सर पार्टी संबद्धता से अधिक मायने रखती है।

मतदाता उन व्यक्तियों का समर्थन करते हैं जिन्हें वे जानते हैं और जिन पर वे भरोसा करते हैं, कभी-कभी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भी।’’ इस आकलन ने भाजपा के भीतर एक व्यापक चिंता को बल दिया है कि एक पूरी तरह से अलग चुनाव अनजाने में शिवसेना को मुंबई में अपने नेटवर्क को मजबूत करने या यहां तक ​​कि विस्तार करने में मदद कर सकता है, जो भारत के सबसे बड़े और सबसे धनी नगर निकाय है, जिसका वार्षिक बजट 74,000 करोड़ रुपये से अधिक है। भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं,

तो शिवसेना को बृहन्मुंबई महानगरपालिका के सभी 227 वार्डों में चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा, जिससे पार्टी को उन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिल सकती है जहां वर्तमान में उसकी उपस्थिति सीमित है। उन्होंने कहा, ‘‘अकेले चुनाव लड़ने में भी जोखिम होते हैं। अगर कुछ वार्डों में भाजपा द्वारा उम्मीदवारों का चयन कमजोर रहा, तो इससे शिवसेना को फायदा हो सकता है।’’

उन्होंने दलील दी कि भाजपा का टिकट न मिलने पर मजबूत स्थानीय उम्मीदवार शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं, जीत सकते हैं और बाद में महायुति के साथ गठबंधन कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘समय के साथ, इससे शिवसेना की अपनी बात मनवाने की ताकत न केवल नगर निकायों में बल्कि भविष्य के विधान परिषद और विधानसभा चुनावों में भी बढ़ सकती है।’’

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इससे भाजपा की गठबंधन ढांचे के प्रति प्राथमिकता स्पष्ट होती है, जो उसे सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है। मुंबई के एक राजनीतिक विश्लेषक ने दलील दी, ‘‘गठबंधन की स्थिति में, वार्ड आवंटन और टिकट वितरण में भाजपा का पलड़ा भारी रहने की संभावना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर महायुति के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ बगावत या पाला बदलने जैसी स्थिति होती है , तो शिवसेना नेतृत्व को जवाबदेह ठहराना भी आसान होगा।’’ हालांकि, इन रणनीतिक विचारों के कारण शिवसेना के भीतर स्पष्ट बेचैनी पैदा हो गई है।

मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम और पार्टी के राज्य मंत्रिमंडल मंत्री आशीष शेलार ने 16 दिसंबर को पूर्व सांसद राहुल शेवाले और विधायक प्रकाश सर्वे सहित शिवसेना नेताओं के साथ चुनावी गठबंधन को लेकर बातचीत की थी। बैठक के तुरंत बाद, शिवसेना के नेताओं ने व्यक्तिगत तौर पर एक महत्वपूर्ण सहयोगी के साथ बातचीत के प्रति भाजपा के दृष्टिकोण पर असंतोष व्यक्त किया था।

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