महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भले ही शिवसेना और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन एक ऐसी भी सीट है, जहां दोनों पार्टियां एकदूसरे के खिलाफ प्रचार कर रही हैं।
सिंधुगढ़ जिले की कणकवली (Kankavli) सीट पर जहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार किया तो वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ सेना के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया।
बीजेपी ने कणकवली सीट पर शिवसेना के पूर्व नेता और मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को उतारा है, जो पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे।
राणे ने हाल ही में अपनी पार्टी स्वाभिमान पक्ष का बीजेपी में विलय किया है। शिवसेना ने इस सीट से नितेश राणे के खिलाफ नारायण राणे के करीबी सहयोगी रहे सतीश सावंत को उतारा है। नारायण राणे और शिवसेना को एकदूसरे का कट्टर विरोधी माना जाता है।
उद्धव ने बिना नाम लिए नारायण राणे को कहा 'विश्वासघाती'
उद्धव ने बुधवार को बीजेपी के खिलाफ इस सीट पर अपने उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करते हुए कहा, 'गठबंधन के बावजूद, मैं यहां सेना उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने आया हूं। अगर बीजेपी ने एक निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता को टिकट दिया होता, तो मैं उसके प्रचार के लिए आता।'
ठाकरे ने कहा, 'मैं यहां बीजेपी की आलोचना करने नहीं आया हूं। मैं अपनी पार्टी में ये प्रतिशोधी रवैया नहीं चाहता हूं लेकिन बीजेपी में भी इसे नहीं चाहता हूं। वे (राणे) पीठ में छुरा घोंपने के लिए जाने जाते हैं।'
पूर्व सीएम नारायण राणे को 2005 में उद्धव ठाकरे के पिता और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने ठाकरे के अधिकारों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए पार्टी से निकाल दिया था।
नारायण राणे इसके बाद कांग्रेस से जुड़ गए थे, लेकिन 2017 में उससे अलग होकर महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नामक एक अलग पार्टी बनाई। लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में अपने बेटे नितेश को कणकवली से बीजेपी का टिकट मिलने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर लिया है।
इससे पहले देवेंद्र फड़नवीस ने भी मंगलवार को कणकवली में बीजेपी उम्मीदवार नितेश राणे के पक्ष में प्रचार करते हुए उनकी शानदार जीत की उम्मीद जताई थी।