Mahakumbh Last Amrit Snan: परिवार का साथ कभी ना छूटे?, रस्सियां, गांठ और घुंघरू बांधकर चल रहे भक्त, महाकुंभ में श्रद्धालुओं का सैलाब
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 26, 2025 12:04 IST2025-02-26T12:00:06+5:302025-02-26T12:04:14+5:30
Mahakumbh Last Amrit Snan LIVE: बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर शुभ स्नान के साथ 45 दिवसीय महाकुंभ का समापन होगा। हर 12 साल बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ का अंतिम स्नान पर्व बुधवार को ‘हर हर महादेव’ के घोष के साथ प्रारंभ हो गया।

Mahakumbh Last Amrit Snan LIVE
Mahakumbh Last Amrit Snan LIVE: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में लाखों लोगों की भीड़ के बीच श्रद्धालु अपने परिवार के अन्य सदस्यों से आसानी से बिछड़ सकने की आशंका के बीच, संगम तक जाते समय और वापस आते समय अपने परिचितों के साथ-साथ चलने के लिए अलग-अलग उपाय अपना रहे हैं। जहां कुछ लोग लंबी रस्सी लाए हैं और उन्होंने उससे एक ‘सुरक्षा घेरा’ बनाया है जिसमें वे चल सकें, वहीं कई अन्य लोग एक-दूसरे के कपड़ों से गांठ बांधकर चल रहे हैं ताकि वे बिछड़ न जाएं। बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर शुभ स्नान के साथ 45 दिवसीय महाकुंभ का समापन होगा। हर 12 साल बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ का अंतिम स्नान पर्व बुधवार को ‘हर हर महादेव’ के घोष के साथ प्रारंभ हो गया।
Mahakumbh
— Sadhguru (@SadhguruJV) January 23, 2025
The Primordial instinct
of wanting to break free
when finds Conscious and
organised approach may succeed
Beware.
From Atomic to Cosmic
all manifest Creation is held
in Captivity of Cyclical conundrum
All life and Death, Pains and Pleasures
Joys and Miseries are… pic.twitter.com/5J8Gx86Qz7
प्रयागराज महाकुम्भ में सभी 30 घाटों पर चेंजिंग रूम्स की बेहतरीन व्यवस्था की गई है, सभी घाटों पर 5 हजार से ज्यादा चेंजिंग रूम्स बनाए गए हैं।
महाकुम्भ में महाशिवरात्रि के पावन स्नान पर आईं महिला श्रद्धालु इस व्यवस्था की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रही हैं।#महाशिवरात्रि_महाकुम्भpic.twitter.com/rpULIkfPcf— Mahakumbh (@MahaKumbh_2025) February 26, 2025
बुधवार तड़के से ही श्रद्धालुओं का गंगा और संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला जारी है। इस बीच, सरकार ने श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की। अधिकारियों ने बताया कि सुबह आठ बजे तक 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। इस तरह से 13 जनवरी से आरंभ हुए महाकुंभ में अब तक 65.37 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा और संगम में डुबकी लगा चुके हैं।
Applying a stroke of faith on pilgrim's forehead Priests apply vermillion tilak on the foreheads of pilgrims as a sign of their faith and spirituality during the Mahashivratri Snan of Mahakumbh Mela. #महाकुम्भ_महाशिवरात्रिpic.twitter.com/aLuBHgSnIb
— Mahakumbh (@MahaKumbh_2025) February 26, 2025
शाम तक यह आंकड़ा 66 करोड़ को पार करने की संभावना है। सोमवार रात से लेकर कई लोग अपने प्रियजन और मित्रों से नदी किनारों या मेला क्षेत्र के अन्य हिस्सों में बिछड़ चुके हैं। इनमें से कई लोगों को मानवीय सहायता और डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपने परिजन से मिलाया जा चुका है। सेक्टर तीन, अक्षय वट रोड स्थित ‘खोया-पाया’ केंद्र पर सोमवार देर रात तीन बजे भी चहल-पहल थी।
For many it is more than just an aesthetic mark, it's a spiritual connection between the individual and their beliefs.#महाकुम्भ_महाशिवरात्रिpic.twitter.com/uEmOT3QC4F
— Mahakumbh (@MahaKumbh_2025) February 26, 2025
मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से आए 34 तीर्थयात्रियों ने अपने समूह के चारों तरफ रस्सी का घेरा बनाया जिसे विभिन्न ओर से समूह के कुछ सदस्यों ने थाम रखा था। समूह में शामिल सोमदत्त शर्मा (34) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने यह सुरक्षा घेरा इसलिए बनाया है ताकि हम एक-दूसरे से बिछड़ न जाएं।
प्रयागराज महाकुम्भ में राजस्थान के किशनगढ़ से सपरिवार आए श्रद्धालुओं का कहना है कि तीर्थराज प्रयाग जितना अलौकिक और सुंदर हैं, उतनी ही सुंदर हैं महाकुम्भ की व्यवस्थाएं। सुनिए इनके विचार
— Mahakumbh (@MahaKumbh_2025) February 26, 2025
#महाशिवरात्रि_महाकुम्भpic.twitter.com/9bxa5zJHXu
हम पहली बार किसी कुंभ में आए हैं और हम एक-दूसरे से अलग होने के खतरों से वाकिफ हैं इसलिए हमने यह व्यवस्था की है।’’ कई अन्य लोग एक दूसरे के कपड़ों में गांठ बांधकर चल रहे हैं। पीली कोठी क्षेत्र के स्थानीय निवासी अजय कुमार कुंभ मेला शुरू होने के बाद से रोजाना अपने घर से तीर्थयात्रियों की भीड़ को गुजरते देखते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘गांवों के लोग गांठ बांधकर चलते हैं। पुरुष तीर्थयात्री अपनी धोती के साथ अपने साथ आई महिला की साड़ी के पल्लू को बांधते हैं या दो महिलाएं एक-दूसरे के शॉल का उपयोग करके गांठ बांध लेती हैं।’’ उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ ये कहा कि दरअसल कई लोग, विशेषकर बुजुर्ग, अपने पास मोबाइल फोन नहीं रखते और उन्हें संपर्क नंबर भी मुश्किल से याद रहता है।
इसलिए एक बार बिछड़ जाने पर उनका फिर से मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर वे गांठ बांधकर चलते हैं। एक अन्य श्रद्धालु अक्षत लाल ने कहा, ‘‘कुछ लोग तो एक पैर में घुंघरू बांधकर चल रहे हैं, ताकि भीड़ में खो जाने पर उनकी आवाज से एक-दूसरे को खोज सकें।’’