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Madhya Pradesh:दिग्गी का EVM में ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो, तरबूज का बटन दबाया, पर्ची सेब की निकली, बोले- सॉफ्टवेयर तय करता है सरकार किसकी

By आकाश सेन | Updated: January 24, 2024 15:40 IST

भोपाल: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी पराजय के बाद एक बार फिर ईवीएम के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वह लगातार ईवीएम पर सवाल उठाते हुए चुनावों के निष्पक्ष होने पर संदेह जता रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने बुधवार को भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने ईवीएम के बहाने निर्वाचन आयोग को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की।

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ठळक मुद्देदिग्विजय सिंह ने कहा कि हमें EVM और वीवीपैट पर भरोसा नहीं है।दिग्विजय ने मांग उठाई कि वोटर पर्ची हमें मिले और हम उसे मतपेटी में डालें और उनकी गणना की जाए।दिग्विजय ने कहा कि साफ्टवेयर के माध्यम से गड़बड़ी की जा सकती है।निर्वाचन आयोग भी इस संबंध में कोई जवाब नहीं दे रहा है।

भोपाल: पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम, वीवीपैट और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। भोपाल में बुधवार को उन्होंने कहा, मेरा आरोप है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है, दबाव में है। आयोग से हम निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं। ईवीएम का सारा काम प्राइवेट लोगों के हाथ में है। जब सॉफ्टवेयर ही सब करता है तो वही तय करेगा सरकार किसकी बनेगी।

दिग्विजय सिंह ने आईआईटीयन अतुल पटेल के माध्यम से ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो दिया। इस दौरान एक ईवीएम में 10 वोट डाले गए। उन्होंने बताया कि 2017 में वीवीपैट का ग्लास बदल दिया गया था। वोट डालने के बाद 7 सेकेंड के लिए वीवीपैट में लाइट जलती है। वोटर पर्ची देखकर चला जाता है।

आईआईटीयन अतुल पटेल ने मशीन की गड़बड़ी को दिखाने के लिए एक चिह्न तरबूज को दो वोट डाले। पहला तरबूज की पर्ची वीवीपैट में दिखी। दूसरा वोट तरबूज का बटन दबाने के बावजूद सेब की पर्ची प्रिंट हुई। अतुल ने कहा, 2013 से चुनावी प्रक्रिया पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम बैलेट पेपर से वोटिंग की लड़ाई लड़ रहे हैं।

भोपाल में श्यामला हिल्स स्थित अपने निवास पर दिग्विजय ने कहा, 140 करोड़ आबादी वाले देश में जहां 90 करोड़ मतदाता हैं तो क्या हम ऐसे लोगों के हाथ में ये सब तय करने का अधिकार दे दें। पूरी इलेक्शन प्रोसेस का मालिक न मतदाता है, न अधिकारी-कर्मचारी हैं। इसका मालिक सॉफ्टवेयर बनाने और डालने वाला है। उन्होंने कहा, सवालों के जवाब चुनाव आयोग नहीं दे रहा है। हमसे कहते हैं कि 7 सेकंड के लिए वीवीपैट दिख जाता है, लेकिन वो जो दिखता है वही छपता है इसकी क्या गारंटी है।

चुनाव आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद

मैंने मुख्यमंत्री काल में टीएन सेशन साहब का जमाना देखा है। हम लोग कुछ कह दें तो भारत निर्वाचन आयोग नोटिस दे देता है। नरेंद्र मोदी कर्नाटक में कह रहे थे कि बजरंग बली की जय बोलो और कमल का बटन दबाओ तो उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं होता। कई बार मेरी बात पर आप लोग और मेरी पार्टी भी भरोसा नहीं करती है।

2024 के  चुनाव के बाद लोकतंत्र नहीं रहेगा

EVM के VVPAT और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं। केवल सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। 2024 के बाद लोकतंत्र नहीं रहेगा। चुनाव बैलेट पेपर से हों। चुनाव आयोग को ईवीएम से इतना ही प्रेम है तो वीवीपैट पर्ची वोटर के हाथ में दे।

 वीवीपैट पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डालते

आस्ट्रेलिया की तर्ज पर वीवीपैट पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डालते। आज विश्व में 5 देश ऐसे हैं, जहां EVM से वोट डाला जाता है। यहां सॉफ्टवेयर पब्लिक डोमेन में है। हमारे यहां 2003 से ही ऐसा नहीं है। कहते हैं इसमें समय लगेगा। अगर 5 साल के लिए सरकार तय करने के लिए 24-48 घंटे का समय भी नहीं दे सकते, हमसे हफ्ते भर ईवीएम की रखवाली कराते हैं, तो ईमानदारी से वोटिंग और काउंटिंग क्यों न हो।

चुनाव आयोग पर साधा निशाना  चुनाव आयोग का कहना है कि सॉफ्टवेयर को पब्लिक डोमेन में नहीं रख सकते क्योंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है। ये तो और भी खतरनाक है कि चुनाव आयोग मानता है इसका दुरुपयोग हो सकता है।

मध्यप्रदेश में में 230 सीटों पर गड़बड़ी कर्नाटक में हमारी सरकार बनी। भाजपा को जहां पता है कि उनकी पार्टी वहां है ही नहीं, ऐसी जगह में ईवीएम में गड़बड़ी नहीं करेंगे। मध्यप्रदेश में 230 सीटों पर गड़बड़ी की। 120-130 सीटों पर नहीं। 10% का स्विंग किया, इसलिए हम कुछ सीटें 60-70 हजार एक लाख से हार गए।

सॉफ्टवेयर ही तय करेगा सरकार किसकी

ईवीएम प्रामाणिकता को लेकर कोई भी जानकारी नहीं है। सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है, इसकी कोई जानकारी भी नहीं है। सॉफ्टवेयर बनाने वाला, डालने वाला और सॉफ्टवेयर ही तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी।

फासिस्ट सिस्टम नहीं चलने देंगे

दिग्विजय ने कहा, नरेंद्र मोदी अमित शाह का जो आत्मविश्वास है, 2014 में कहा 272 सीटें मिलेंगी 284 मिलीं। 2019 में कहा, 300 के पार होगी, सीटें मिलीं 303 और अब कह कह रहे 400 पार। हम इस फासिस्ट सिस्टम को नहीं चलने देंगे। मोदी ने पुलवामा के नाम पर वोट मांगे, मामा ने लाड़ली बहना को लेकर वोट मांगे। अब कह रहे रामलला हम आएंगे। ये नरेटिव सेट कर रहे हैं।

वही दिग्विजय की डेमों के बाद पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी एक्स पर लिखा की भारतीय वोटिंग प्रणाली में बदलाव होना चाहिए। वहीं दिग्गी के आरोपों पर बीजेपी के विधायक रामेश्वर शर्मा ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आयोग पर सवाल उठाना गलत है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ फिर दर्ज होना चाहिए । जो भी हो लेकिन इससे ये तो साफ है कि लोकसभा चुनाव के पहले EVM को लेकर किए गए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खुलासे के बाद अब इसको लेकर सियासत में उपजा सियासी बवाल अब थमने वाला नहीं है। 

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