मध्यप्रदेश चुनाव: आडवाणी-जोशी की राह पर हैं ये दो नेता, मार्गदर्शक मंडल में डालना चाहती है बीजेपी?
By शिवअनुराग पटैरया | Published: November 7, 2018 08:03 AM2018-11-07T08:03:19+5:302018-11-07T08:03:19+5:30
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और पूर्व मंत्री सरताज सिंह को लेकर यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि प्रदेश भाजपा का नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों को विधानसभा चुनाव के मैदान में टिकट न देने पर अड़े हुए हैं।
मध्य प्रदेश की भाजपाई राजनीति में क्या पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और पूर्व मंत्री सरताज सिंह को भाजपा का नेतृत्च अपने केंद्रीय नेताओं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरलीमनोहर जोशी के रास्ते पर ले जा रहा है। क्या वे मध्य प्रदेश भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में जगह बनाएंगे?
CM शिवराज सिंह चौहान टिकट न देने पर अड़े?
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और पूर्व मंत्री सरताज सिंह को लेकर यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि प्रदेश भाजपा का नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों को विधानसभा चुनाव के मैदान में टिकट न देने पर अड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश भाजपा के दूसरे बड़े नेता मसलन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी इसी लाइन को आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव लगातार दस बार जीत चुके हैं। वे शुरू से लेकर अब तक गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतते आ रहे हैं। उनकी जीत का अंतर भी काफी बड़ा ही रहा है। इसके बावजूद गौर पर इस बार भाजपा गौर नहीं कर रही है। न ही उन्हें और न ही उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर को पार्टी ने अब तक प्रत्याशी घोषित किया है। इसको लेकर गौर ने कभी गरम तो कभी नरम तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं। पहले गौर ने कहा कि वे हर हाल में चुनाव लड़ेंगे।
गौर के चुनाव लड़ने पर पीएम मोदी भी हुए थे राजी
गौर ने ‘लोकमत समाचार’ से बातचीत करते हुए कहा कि कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनसे चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। दरअसल, प्रदेश भाजपा के जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यकर्ता महाकुंभ के मंच पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौर के द्वारा उनका अभिवादन किए जाने पर सार्वजनिक तौर पर कहा था कि गौर एक बार और। प्रधानमंत्री के इस वाक्य को बाबूलाल गौर उनकी सहमति मानते हैं और कहते हैं कि प्रधानमंत्री हां कह गए हैं तो उन्हें टिकट मिलेगा।
टिकट नहीं मिला तो ऐसा होगा
टिकट मिलने और न मिलने के कयासों के बीच गौर ने अपने तेवर कड़े करते हुए यहां तक कह दिया है कि अगर टिकट नहीं दिया तो उनकी बहू कृष्णा गौर गोविंदपुरा से और वे खुद हूजूर से चुनाव लड़ेंगे। गौर को दर्द इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि 2005 में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया। इसके बाद उनसे मंत्री की कुर्सी भी छीन ली गई और अब उनकी टिकट काटने की भी बात हो रही है।
सरताज सिंह को भी बीजेपी कर रही दरकिनार
गौर की तरह सरताज सिंह को भी प्रदेश भाजपा का नेतृत्व दरकिनार कर रहा है। वह उनके विधानसभा क्षेत्र सिवनी-मालवा से कोई नया प्रत्याशी मैदान में उतारना चाह रहा है, लेकिन सरताज सिंह तैयार नहीं हैं। इसको लेकर उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात हो चुकी है। इस मुलाकात के बाद भी बात नहीं बनी। मुख्यमंत्री नया चेहरा उतारना चाह रहे हैं और सरताज सिंह मानने को तैयार नहीं हैं। इसी रस्साकशी के बीच मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सरताज सिंह को फोन कर पूछा कि क्या उनके स्थान पर एक डॉक्टर प्रत्याशी राजेश शर्मा को उतारा जाए तो उन्होंने मना कर दिया। डॉ. राजेश शर्मा एक बड़े अस्पताल के मालिक हैं और बीते कई सालों से होशंगाबाद जिले में समाजसेवा का काम भी कर रहे हैं। सरताज सिंह ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि मैं मुख्यमंत्री से अपनी बात कह चुका हूं। मैं चुनाव लड़ना चाह रहा हूं। आखिर पार्टी जीती हुई सीट को क्यों हारना चाह रही है।
बिना किसी राजनीति से चुनाव जीतते रहे सरताज
सरताज सिंह को मध्य प्रदेश में एक ऐसे राजनेता के रूप में जाना जाता है जो बिना किसी राजनीति से चुनाव जीतते रहे हैं। उन्हें होशंगाबाद क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन सिंह को भी पराजित करने का श्रेय जाता है। इसके बाद वे केंद्र में मंत्री भी बने और बाद में राज्य सरकार में भी शरीक रहे। वे अपनी साफ-सुथरी छवि से जाने जाते हैं। सरताज सिंह से बाबूलाल गौर की तरह ही कोई साल भर पहले इस्तीफा ले लिया गया था। बाद में जब केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से कहा गया कि उम्र का कोई पैमाना नहीं बनाया गया था तो दोनों ही बिफर पड़े थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसी के बाद से माना जाना लगा था कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी की तरह ही कहीं गौर और सरताज को तो नहीं ढकेला जा रहा है। राज्य विधानसभा के ताजा चुनाव में प्रत्याशी बनाने को लेकर जिस तरह उनकी अवहेलना हो रही है, उससे यही लगता है कि दोनों को भाजपा मार्गदर्शक मंडल में डालना चाह रही है, पर दोनों ही नेता इसके लिए तैयार नहीं हैं।